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Friday, October 14, 2022

धनतेरस पर 13 दीये क्यों जलाते हैं?

dhanteras 2022
 

वर्ष 2022 में धनतेरस का पर्व 23 अक्टूबर को मनाया जा रहा है। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार धनतेरस (Dhanteras) के दिन सायंकाल को 13 दीये जलाने की पौराणिक परंपरा है। मान्यतानुसार इस दिन 13 दीप कुबेर को समर्पित करना चाहिए, क्योंकि कुबेर संपदा, वैभव-ऐश्वर्य, धन-दौलत, संपत्ति के स्वामी माने गए हैं।

इतना ही नहीं धनतेरस के दिन 13 दीप जलाकर भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती हैं, क्योंकि धन्वंतरि देवताओं के वैद्य माने जाते हैं अत: उनसे अच्छा स्वास्थ्य और सेहतमंद बनाए रखने के लिए प्रार्थना की जाती है। 

धार्मिक मान्यतानुसार धनतेरस की शाम घर के बाहर मुख्य द्वार तथा आंगन में दीप जलाने की प्रथा है। जिस प्रकार मां लक्ष्मी सागर मंथन से उत्पन्न हुई थी, उसी प्रकार भगवान धन्वंतरि भी अमृत कलश के साथ समुद्र मंथन से उत्पन्न हुए हैं। देवी लक्ष्मी धन की देवी मानी जाती हैं। 

 

अत: उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए और अच्छा स्वास्थ्य और लंबी आयु पाने के लिए दीपावली दो दिन पहले से ही यानी धनतेरस से ही दीपमालाएं सजने लगती हैं। और यही कारण है कि धनेतरस के दिन सायंकाल घर-आंगन में 13 दीप (13 deepak) जलाने से जीवन में खुशहाली आती है तथा स्वास्थ्य और सेहत की कामना के लिए इस दिन 13 दीप जलाने का विशेष महत्व है। 

 

दीपावली की तरह ही धनतेरस पर भी दीपदान करने का विशेष महत्व है। इस दिन सायंकाल पूजन के पश्चात घर में 13 दीपक जलाकर पहला दीया यम के नाम का दक्षिण दिशा में, मां लक्ष्मी के सामने यानी दूसरा दीया पूजन स्थान पर, मुख्य द्वार पर दो दीये, तुलसी के पौधे में एक दीया, छत की मुंडेर पर एक दीया और बाकी दीपक घर के अलग-अलग कोनों में रखें जाते हैं। 

 

इतना ही नहीं लोकमान्यता के अनुसार यह भी कहा जाता है कि इस दिन घर में उपयोग में आने वाली वस्तुएं खरीदने से उसमें 13 गुणा वृद्धि होती है। 

Dhanteras 2022
 


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