उझानी ! एक पुरानी और बेमिसाल नात शरीफ के चंद अल्फ़ाज़ का जीवंत उदाहरण आज नगर के प्राचीन कब्रस्तान में उस समय देखने को मिला जब एक मय्यत को दफन करने के लिये कब्र खोदी जा रही थी की कब्र में दस साल पुरानी कब्र में दूसरा जनाजा निकल आया जो एकदम सुरक्षित मिला और कब्र से आ रही खुशबू से ऐसा प्रतीत होता था मानो कब्र में जनाजे को अभी दफनाया गया हो ! इस अजीबो गरीब मंजर को देख सभी हतप्रभ रह गए और लोगों का हज्जूम जमा होने लगा ! सभी की जुबां पर यकायक मशहूर नात की चंद लाइनें —
ज़मीं मैली नहीं होती
जमन मैला नहीं होता
मोहम्मद के गुलामों का
कफ़न मैला नहीं होता !
बीती रात बीमारी के चलते मुहल्ला गंज शहीदां निवासी बब्बन ठेकेदार ( 70 ) का इंतकाल हो गया जिनको दफनाने के लिए शनिवार सुवह को कब्र खोदी जा रही थी तो कब्र खोद रहे सुबराती ने कब्र में दूसरा जनाजा देखा तो लोगों को आवाज़ दी आवाज सुनकर पहुंचे शकील आतिशबाज ने बताया कि मैंने जब जाकर देखा तो ऐसा लग रहा था कि जैसे जनाजे को अभी कब्र में उतारा गया हो वहीं इल्यास ने बताया कि जनाजे में से गुलाब की खुश्बू की महक आ रही थी और कफन और जनाजे पर कोई धब्बा भी नहीं था जब कब्र में जनाजा निकला तो मौके पर सुबराती,शकील आतिशबाज,इल्यास बरकाती,रोकी,मुजाहिद आदि थे बाद में भीड़ का हुज्जूम लगने लगा।बाद में समाज के लोगों ने जनाजे को दफन कर दिया और बब्बन ठेकेदार के जनाजे को दूसरी जगह कब्र खोदकर दफन किया गया।
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