खर और दूषण रावण के सौतेले भाई और राक्षसों के प्रमुख यूथपति थे जो दण्डक वन में रावण की ओर से शासन करते थे। राक्षसों के वंश के बारे में विस्तार से यहाँ पढ़ें। परमपिता ब्रह्मा से हेति और प्रहेति नामक दो राक्षसों की उत्पत्ति हुई। ये दोनों ही राक्षसों के आदिपुरुष माने जाते हैं। हेति से विद्युत्केश और विद्युत्केश से सुकेश का जन्म हुआ। इसी सुकेश को महादेव और देवी पार्वती ने गोद ले लिया और ये उनका पुत्र कहलाया।
सुकेश के तीन प्रतापी पुत्र हुए - माल्यवान, सुमाली एवं माली। सुमाली के १० पुत्र और ४ पुत्रियाँ हुई - राका, पुष्पोत्कटा, कुंभीनसी और कैकसी। सुमाली ने एक शक्तिशाली वंशज पाने के लिए अपनी पुत्री कैकसी का विवाह महर्षि पुलत्स्य के पुत्र महर्षि विश्रवा से करवा दिया। इन्ही दोनों का पुत्र रावण हुआ जिसने आगे चलकर राक्षस वंश को अपने शिखर पर पहुँचाया और दिग्विजयी बना। कुम्भकर्ण और विभीषण भी इसी के पुत्र थे।
माली की दो और पुत्रियों राका और पुष्पोत्कटा ने भी महर्षि विश्रवा से विवाह करने का अनुरोध किया जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया। तब विश्रवा मुनि को राका से खर और पुष्पोत्कटा से दूषण नामक बलशाली पुत्रों की प्राप्ति हुई। इस प्रकार ये दोनों रावण के छोटे सौतेले भाई थे। कहा जाता है कि अलग-अलग माता से इन दोनों का जन्म एक ही दिन हुआ और ये सौतेले होते हुए भी जुड़वाँ भाई हुए।
अपने अन्य भाइयों के समान खर और दूषण को भी उत्तम युद्ध शिक्षा मिली। इन्हे रावण के प्रमुख रथियों में से एक माना जाता है। जब रावण अपने दिग्विजय पर निकला तो ये दोनों भाई भी उसके साथ थे और राक्षसों और देवताओं के युद्ध में इन दोनों भाई ने अपनी वीरता का परिचय दिया। उस युद्ध में अंततः देवताओं की पराजय हुई और रावण का अधिकार स्वर्ग पर हो गया।
रावण की बहन शूर्पणखा ने अपनी जाति से बाहर जाकर एक वीर दैत्य विद्युत्जिह्व से विवाह कर लिया। इससे रावण अत्यंत क्रोधित हुआ और उसने विद्युत्जिह्व पर आक्रमण कर दिया। दोनों के बीच घोर द्वन्द हुआ और उस युद्ध में रावण के हाथों विद्युत्जिह्व की मृत्यु हो गयी। शूर्पणखा अपने पति की मृत्यु के बाद वही रहना चाहती थी किन्तु रावण ने उसे किसी प्रकार समझा बुझा कर अपने साथ ले गया।
रावण ने शूर्पणखा को दण्डक वन प्रदान किया जहाँ वो स्वच्छंद विचरण करने लगी। दण्डक वन रावण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण था क्यूंकि वहाँ अनेक ऋषि रहते थे जिसे रावण या तो मारना चाहता था अथवा वहां से भगाना चाहता था। इसीलिए उसने दण्डक वन और शूर्पणखा की सुरक्षा का दायित्व खर और दूषण के हाथों में सौंपा। रावण के राज्य में ये दोनों भाई उस दण्डक वन में रहने वाले ऋषियों पर अत्याचार करने लगे।
अधिकतर राक्षस नरभक्षी नहीं होते थे किन्तु खर और दूषण के बारे में कहा जाता है कि ये दोनों राक्षस मनुष्यों को खा जाते थे। इसी कारण दण्डक वन में दोनों का आतंक इतना बढ़ा कि ऋषियों ने उनके डर से वहाँ से पलायन करना आरम्भ कर दिया।
इसके अतिरिक्त रावण ने खर और दूषण के नेतृत्व में लंका के १४००० वीर सुभटों की सेना दण्डक वन में रखी थी। उस कारण कोई राजा भी उनपर आक्रमण करने का साहस नहीं करता था। इस प्रकार सब ओर से सुरक्षित और निःशंक हो वो दोनों नरभक्षी राक्षस अपनी बहन शूर्पणखा के साथ उस विशाल दण्डक वन पर राज करने लगे।
...शेष
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