बदायूं।
आज अचानक जिलाधिकारी बदायूं श्री कुमार प्रशान्त जी फोन आया, कुशल क्षेम उपरांत उन्होंने कहा क्या आप सोतनदी के पुल तक जा सकते हैं मैंने तुरंत कहा जी बिल्कुल। तुंरत उन्होंने खुशी के साथ कहा जाइए जाइए देखिए आज नदी में कितना पानी बह रहा है, और ये मेरी ओर से आपके पिता जी (स्व. डा उर्मिलेश) को श्रद्धांजलि है। मैं प्रसन्नता को व्यक्त नहीं कर पा रहा था, किन्तु अगले ही पल मैंने उन्हें बधाई दी और कहा कि सर आपका प्रयास इतिहास में दर्ज होगा, और उन्हें प्रणाम कर चल पडा नगर की सीमा पर सोत नदी के ऊपर बने पुल पर। आंखें मन विश्वास नहीं कर पा रहा था पर आंखों को जो दिख रहा था, वो कैसे कोई झुठलादे। द्अनन्त काल से बदायूँ जनपद की एक क्षीणकाय किन्तु स्वतः स्रोतित और कभी सदानीरा रही ‘सोत नदी’ जो आज अपने अस्तित्व के लिए लड़ रही है, उसे उसके प्राचीन स्वरुप में दुबारा लाने के इस भागीरथी सार्थक प्रयास के लिए आज आभार के शब्द नहीं हैं। पूर्व में समाप्त या बन्द हो चुके स्रोत आल पान से भरे दिख रहे थे, जहां तक नजर जा रही थी नदी में पानी ही पानी दिख रहा था। जिलाधिकारी श्री कुमार प्रशान्त के कुशल नेतृत्व, वृहद सोच एवं दृढ़ संकल्प के कारण आज पुनः सोत नदी को उसका खोया गौरव मिलता दिख रहा है। इस प्रयास से निश्चित रुप से आने वाले समय में सोत अपने प्राचीन वैभव को प्राप्त करेगी। श्रद्धेय पापा जी राष्ट्रीय गीतकार डॉ. उर्मिलेश द्वारा सोत नदी के महत्व को दर्शाती हुयी पुस्तक “सोत नदी बहती है” में लिखी गयीं कविताएं आज सार्थक सिद्ध हो रही हैं, धन्यवाद आदरणीय जिलाधिकारी श्री कुमार प्रशांत जी, ऐतिहासिक पहल के लिए……
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