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Monday, May 30, 2022

गंगा दशहरा : सरल मंत्र, 10 उपाय, पवित्र आरती और गंगाजल कलश पूजा विधि

Ganga Dussehra 2022 
 


पुराणों के अनुसार गंगा दशहरा (Ganga Dussehra 2022) के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है। यह हिन्दुओं का प्रमुख त्योहार है। शास्त्रों के अनुसार ज्येष्ठ शुक्ला दशमी को दशहरा कहते हैं। इस वर्ष गंगा दशहरा पर्व (Ganga Dussehra 2022) 09 जून 2022 को मनाया जाएगा। इसमें स्नान, दान और व्रत का विशेष महत्व होता है। इस दिन स्वर्ग से गंगा का धरती पर अवतरण (ganga maiya) हुआ था, इसलिए यह महापुण्यकारी पर्व माना जाता है। गंगा दशहरा वो समय होता है जब मां गंगा का पृथ्वी पर अवतरण हुआ था जबकि गंगा जयंती (गंगा सप्तमी) वह दिन होता है जब गंगा का पुनः धरती पर अवतरण हुआ था। 

 

गंगा दशहरा के दिन सभी गंगा मंदिरों में भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है तथा मोक्षदायिनी गंगा का पूजन-अर्चना भी किया जाता है। गंगा पूजन एवं स्नान से रिद्धि-सिद्धि, यश-सम्मान की प्राप्ति होती है। इस पर्व के लिए गंगा मंदिरों सहित अन्य मंदिरों पर भी विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। 

 

गंगा दशहरा पूजा विधि-Puja Vidhi 

 

* धर्मशास्त्रों के अनुसार कलश को सुख-समृद्धि, वैभव और मंगल कामनाओं का प्रतीक माना गया है। इसे विश्व ब्रह्मांड, विराट ब्रह्मा एवं भू-पिंड यानी ग्लोब का प्रतीक माना गया है। इसमें सम्पूर्ण देवता समाए हुए हैं। अत: पूजन के दौरान कलश को देवी-देवता की शक्ति, तीर्थस्थान आदि का प्रतीक मानकर स्थापित किया जाता है।

 

* गंगा दशहरा के दिन कलश में गंगा जल, पान के पत्ते, आम्रपत्र, केसर, अक्षत, कुंमकुंम, दुर्वा-कुश, सुपारी, पुष्प, सूत, नारियल, अनाज आदि का उपयोग करके पूजन किया जाता है। यह कलश शांति का संदेशवाहक माना जाता है।

 

* गंगा दशहरा के दिन मां गंगा की पवित्र धारा में स्नान करके पूजन किया जाता है। 

 

* हरिद्वार, ऋषिकेश, इलाहबाद (प्रयाग) और वाराणसी में गंगा स्नान करने का खास महत्व है। 

 

* इस दिन प्रातःकाल सूरज उगने से पूर्व गंगा स्नान करने का खास महत्व होता है।

 

* गंगा दशहरा का व्रत भगवान विष्णु को खुश करने के लिए किया जाता है।

 

* इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है। 

 

* इस दिन गंगा माता का पूजन करके उनकी आरती की जाती है। 

 

* इस दिन लोग व्रत करके पानी भी (जल का त्याग करके) छोड़कर इस व्रत को करते हैं।

 

* इस दिन जल का घट दान करके फिर जल पीकर अपना व्रत पूर्ण करते हैं।

 

* इस दिन दान में केला, नारियल, अनार, सुपारी, खरबूजा, आम, जल भरी सुराई, हाथ का पंखा आदि चीजें भक्त दान करते हैं। 

 

* गंगा दशहरा के दिन श्रद्धालु पवित्र गंगा में डुबकी लगाते है ताकि उनके सभी पाप नष्ट हो जाए और वे हमेशा निरोग रहे। 

 

* इस दिन गंगा चालीसा, गंगा स्तोत्र, कथा आदि सुनी और पढ़ी जाती हैं और अगले दिन दान-पुण्य करते हैं। 

 

उपाय-Ganga Upay 

 

1. गंगा जल से ही जन्म, मरण या ग्रहण के सूतक का शुद्धिकरण किया जाता है।

 

2. ऐसी आम धारणा है कि मरते समय व्यक्ति को यह जल पिला दिया जाए तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

 

3. कहा जाता है कि गंगा नदी में स्नान करने से दस पापों का हरण होकर अंत में मुक्ति मिलती है। 

 

4. गंगा दशहरा पर्व पर मां गंगा में डुबकी लगाने से मनुष्य के सभी पाप धुल जाते हैं। गंगा जल को पीने से प्राणवायु बढ़ती है। इसीलिए गंगा जल का आचमन किया जाता है।

 

5. पूजा-अर्चना, अभिषेक और कई धार्मिक अनुष्ठानों में गंगा जल का प्रयोग किया जाता है।

 

6. प्राचीकाल के ऋषि अपने कमंडल में गंगा का जल रही रखते थे। उसी जल को हाथ में लेकर या किसी के उपर छिड़कर उसे वरदान या श्राप देते थे।

 

7. गंगा दशहरा के दिन किसी भी नदी में स्नान करके दान और तर्पण करने से मनुष्य जाने-अनजाने में किए गए कम से कम 10 पापों से मुक्त होता है।8. 

 

9. गंगा जल में स्नान करने से सभी तरह के पाप धुल जाते हैं। गंगा को पापमोचनी नदी कहा जाता है।

 

10. गंगा दशहरा के दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व है। इस दिन सत्तू, मटका और हाथ का पंखा दान करने से दुगुना फल प्राप्त होता है।

 

गंगा मंत्र-Ganga Mantra

 

1. गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती।

नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिम् कुरु।।

 

2. ॐ नमो गंगायै विश्वरुपिणी नारायणी नमो नम:।।

 

3. गंगागंगेति योब्रूयाद् योजनानां शतैरपि।

मच्यते सर्व पापेभ्यो विष्णुलोकं सगच्छति। तीर्थराजाय नम:

 

4. गांगं वारि मनोहारि मुरारिचरणच्युतम्।

त्रिपुरारिशिरश्चारि पापहारि पुनातु माम्।।

 

श्री गंगा मां की आरती-Ganga Aarti 

 

ॐ जय गंगे माता, श्री गंगे माता।

जो नर तुमको ध्याता, मनवांछित फल पाता।

ॐ जय गंगे माता...

 

चन्द्र-सी ज्योत तुम्हारी जल निर्मल आता।

शरण पड़े जो तेरी, सो नर तर जाता।

ॐ जय गंगे माता...

 

पुत्र सगर के तारे सब जग को ज्ञाता।

कृपा दृष्टि तुम्हारी, त्रिभुवन सुख दाता।

ॐ जय गंगे माता...

 

एक ही बार भी जो नर तेरी शरणगति आता।

यम की त्रास मिटा कर, परम गति पाता।

ॐ जय गंगे माता...

आरती मात तुम्हारी जो जन नित्य गाता।

दास वही जो सहज में मुक्ति को पाता।

ॐ जय गंगे माता...

ॐ जय गंगे माता...।।

Ganga Dussehra




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