1. पारद को मरक्यूरी (Mercury) कहते हैं। यह पारा होता है। पारे के बारे में तो प्राय: आप सभी जानते होंगे कि पारा ही एकमात्र ऐसी धातु है, जो सामान्य स्थिति में भी द्रव रूप में रहता है। मानव शरीर के ताप को नापने के यंत्र तापमापी अर्थात थर्मामीटर में जो चमकता हुआ पदार्थ दिखाई देता है, वही पारा धातु होता है। पारद शिवलिंग इसी पारे से निर्मित होते हैं। पारे को विशेष प्रक्रियाओं द्वारा शोधित किया जाता है जिससे वह ठोस बन जाता है फिर तत्काल उसका शिवलिंग बना लिया जाता है। यह प्रक्रिया बड़ी ही जटिल रहती है।
देवता, असुर और मानव के लिए अलग-अलग हैं शिवलिंग, जानिए अद्भुत जानकारी
2. पारद शिवलिंग के महत्व का वर्णन ब्रह्मपुराण, ब्रह्मवेवर्त पुराण, शिव पुराण, उपनिषद आदि अनेक ग्रंथों में किया गया है। रुद्र संहिता में यह विवरण प्राप्त होता है कि रावण रसायन शास्त्र का ज्ञाता और तंत्र-मंत्र का विद्वान था। उसने भी रसराज पारे के शिवलिंग का निर्माण एवं पूजा-उपासना कर शिवजी को प्रसन्न किया था।
3. पारद शिवलिंग प्रदोष के दिन अक्सर घर, ऑफिस, दूकान आदि जगहों रखा जाता है।
4. प्रदोष पर इस शिवलिंग की पूजा अर्चना करने से जीवन में सुखशांति और सौभाग्य प्राप्त होता हैं।
5. पारद शिवलिंग से धन-धान्य, आरोग्य, पद-प्रतिष्ठा, सुख आदि भी प्राप्त होते हैं।
6. नवग्रहों से जो अनिष्ट प्रभाव का भय होता है, उससे मुक्ति भी पारद शिवलिंग से प्राप्त होती है।
7. पारद शिवलिंग की भक्तिभाव से पूजा-अर्चना करने से संतानहीन दंपति को भी संतानरत्न की प्राप्ति हो जाती है।
8. 12 ज्योतिर्लिंग के पूजन से जितना पुण्यकाल प्राप्त होता है उतना पुण्य प्रदोष पर पारद शिवलिंग के दर्शन मात्र से मिल जाता है।
9. पारद शिवलिंग बहुत ही पुण्य फलदायी और सौभाग्यदायक होते हैं।
10. पारद शिवलिंग से अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है।
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