धारत पर जो छाया पड़ रही है वह राहु है...
पंथा राहु विचार
1. दिन और रात को बराबर आठ भागों में बांटने के बाद आधा-आधा प्रहर के अनुपात से विलोम क्रमानुसार राहु पूर्व से आरम्भ कर चारों दिशाओं में भ्रमण करता है।
2. पहले आधे प्रहर पूर्व में, दूसरे में वाव्य कोण में, तीसरे में दक्षिण में, चौथे में ईशान कोण में, पांचवें में पश्चिम में, छठे में अग्नि कोण में, सातवें में उत्तर में तथा आठवें में अर्ध प्रहर में नैऋत्य कोण में रहता है।
3. रविवार को नैऋत्य कोण में, सोमवार को उत्तर दिशा में, मंगलवार को आग्नेय कोण में, बुधवार को पश्चिम दिशा में, गुरुवार को ईशान कोण में, शुक्रवार को दक्षिण दिशा में, शनिवार को वायव्य कोण में राहु का निवास माना गया है।
4. सोमवार को यह दिन के द्वितीय भाग में, शनिवार को तीसरे भाग में, शुक्रवार को चतुर्थ भाग में, बुधवार को पांचवें भाग में, गुरुवार को छठे भाग में, मंगलवार को सातवें भाग में और रविवार के दिन आठवें भाग पर राहु का प्रभाव होता है।
5. यात्रा के दौरान राहु दाहिनी दिशा में होता है तो विजय मिलती है, योगिनी बायीं तरफ सिद्धि दायक होती है। राहु और योगिनी दोनों पीछे रहने पर शुभ माने गए है। चन्द्रमा सामने शुभ माना गया है।
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