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Thursday, June 16, 2022

गुरुवार के तीन 3 कार्य बिल्कुल न करें और 3 कार्य जरूर करें

रविवार और गुरुवार को हिन्दू धर्म में सबसे पवित्र वार माना जाता है। इसमें भी गुरुवार सबसे उत्तम इसलिए है क्योंकि यह सभी देवी और देवताओं का वार होता है। इस वार की दिशा ईशान है। ईशान में शिवजी का वास है। ईशान में ही सभी देवताओं का स्थान माना गया है। अत: गुरुवार को सभी देवी और देवताओं की पूजा का विधान है। इस वार को 3 कार्य भूलकर भी नहीं करना चाहिए और 3 कार्य जरूर करना चाहिए।
 

 

ये 3 कार्य भूलकर भी न करें :

 

1. इस दिन शेविंग न बनाएं और शरीर का कोई भी बाल न काटें अन्यथा संतान सुख में बाधा उत्पन्न होगी। इस दिन नाखून भी नहीं काटना चाहिए। इस दिन महिलाओं को कपड़े और बाल नहीं धोना चाहिए और पोंछा भी नहीं लगाना चाहिए।

 

2. गुरुवार को ऊपर से नमक डालकर नहीं खाना चाहिए। इससे स्वास्थ्य पर असर पड़ता है और हर कार्य में बाधा आती है। नमक खाने से गुरु अस्त हो जाता है। इस दिन दूध और केला खाना भी वर्जित माना गया है। इस दिन खिचड़ी खाने को भी वर्जित माना गया है।

 

3. गुरुवार के दिन पूजा-पाठ से जुड़ा सामान, आंखों से जुड़ी कोई भी वस्तु, कोई धारदार वस्तु जैसे चाकू, कैंची, बर्तन आदि नहीं खरीदना चाहिए। दक्षिण, पूर्व, नैऋत्य में यात्रा करना वर्जित है। झूठ नहीं और गुरुवार को पापों का प्रायश्‍चित करने से पाप नष्ट हो जाते हैं, साथ ही कोई नया संकल्प लेने या कार्य करने से वह संकल्प और कार्य सफल हो जाता है।

ये 3 कार्य जरूर करें :

 

1. गुरुवार का व्रत करें : गुरुवार का व्रत करने से मनुष्य के भाग्य खुल जाते हैं। जातक को गुरुवार का व्रत अवश्‍य करना चाहिए क्योंकि बृहस्पति से ही भाग्य जागृत होता है।

 

2. गुरुवार को केसर का तिलक लगाएं : गुरुवार को केसर का तिलक लगाने से कुंडली में बृहस्पति के अच्छे प्रभाव मिलते हैं। कुंडली में बृहस्पति अच्छा है तो जीवन में सबकुछ अच्‍छा ही होगा। कुंडली में चौथा, पांचवां और नौवें भाव पर अपना प्रभाव रखते हैं। चौथे में अच्छा फल देते हैं और नौवें में भाग्य खोल देते हैं।

 

3. गुरुवार को मंदिर जरूर जाएं : गुरुवार को मंदिर जाने से सभी देवी और देवता प्रसन्न होते हैं और जातक उनकी कृपा प्राप्त करके जीवन के संकटों से बच जाता है। मंदिर में पीपल में जल जरूर चढ़ाएं। पीपल के वृक्ष में जल चढ़ाने से जहां भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं वहीं पितृदोष भी मिट जाता है और पितृदेव आशीर्वाद देते हैं।



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