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Wednesday, June 1, 2022

शनिदेव बदलेंगे चाल : वक्री शनि क्या शुभ-अशुभ फल देते हैं जानिए

Shani Dev Remedies

Shani vakri in kumbh rashi : शनि ग्रह ने 29 अप्रैल को कुंभ राशि में प्रवेश किया था और अब वह इसी राशि में 5 जून 202 से वक्री चाल चलने लगेंगे और  23 अक्तूबर तक इसी वक्री अवस्था में ही गोचर करेंगे। आओ जानते हैं कि शनि की वक्री चाल क्या होती है और क्या होगा इसका शुभ-अशुभ फल।
 

 

वक्री चाल क्या होती है : वक्री अर्थात उल्टी दिशा में गति करना। सूर्य और चन्द्र को छोड़कर सभी ग्रह वक्री होते हैं। राहु और केतु सदैव वक्री ही रहते हैं। वस्तुतः कोई भी ग्रह कभी भी पीछे की ओर नहीं चलता यह भ्रम मात्र है। घूमती हुई पृथ्वी से ग्रह की दूरी तथा पृथ्वी और उस ग्रह की अपनी गति के अंतर के कारण ग्रहों का उलटा चलना प्रतीत होता है। उदाहरणार्थ जब हम किसी बस या कार में सफर कर रहे होते हैं तो यदि हमारी बस या कार तेज रफ्तार से किसी दूसरी बस या कार को ओवरटेक करती है तो पीछे छूटने के कारण ऐसा लगता है कि पीछे ही जा रही है। हमें लगता है कि वह उल्टी दिशा में गति कर रही है, जबकि दोनों ही एक ही दिशा में गमन कर रही होती है।

lord shani dev

शनि की वक्र दृष्टि का फल :

1. इस ग्रह की दो राशियां है- पहली कुंभ और दूसरी मकर। यह ग्रह तुला में उच्च और मेष में नीच का होता है। 

 

2. जब यह ग्रह वक्री होता है तो स्वाभाविक रूप से तुला राशि वालों के लिए सकारात्मक और मेष राशि वालों के लिए नकारात्मक असर देता है। 

 

3. शनि जब अन्य राशियों में भ्रम करता है तो उसका अलग असर होता है। यदि वह मेष की मित्र राशि धनु में भ्रमण कर रहा है तो मेष राशि वालों पर नकारात्मक असर नहीं डालेगा। 

 

4. केंद्र में शनि (विशेषकर सप्तम में) अशुभ होता है। अन्य भावों में शुभ फल देता है। प्रत्येक ग्रह अपने स्थान से सप्तम स्थान पर सीधा देखता है। सातवें स्थान के अलावा शनि तीसरे और दसवें स्थान को भी पूर्ण दृष्टि से देखता है। शनि जिस राशि में है वहां से उक्त स्थान को वक्री देखता है।

 

5. हालांकि इस बार शनि कुंभ राशि में वक्री हो रहा है जिसके चलते मेष, वृश्‍चिक, मकर और कुंभ को शुभ फल मिलेंगे।



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