1. मांगलिक कार्य नहीं करते हैं : इन चार माह में किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य नहीं करते हैं, जैसे विवाह, गृहप्रवेश, जातकर्म संस्कार आदि।
2. केश कर्तन नहीं करते हैं : इन चार माह में बाल, दाढ़ी और नाखून नहीं काटते हैं।
3. निम्न भोजन का त्याग : इन चार माह में तेल से बनी चीजें, दूध, शकर, दही, तेल, बैंगन, पत्तेदार सब्जियां, नमकीन या मसालेदार भोजन, मिठाई, सुपारी, मांस और मदिरा का सेवन नहीं किया जाता। इसके अलावा गुड़, शहद और मूली का भी सेवन नहीं करते हैं। श्रावण में पत्तेदार सब्जियां यथा पालक, साग इत्यादि, भाद्रपद में दही, आश्विन में दूध, कार्तिक में प्याज, लहसुन और उड़द की दाल, आदि का त्याग कर दिया जाता है।
4. विचार और भावना पर रखते हैं काबू : इन 4 महीनों में क्रोध, ईर्ष्या, असत्य वचन, अभिमान आदि भावनात्मक विकारों से बचते हैं।
5. सुख सुविधाओं का त्याग : इन चार माह में व्यर्थ वार्तालाप, अनर्गल बातें, मनोरंजन के कार्य, पलंग पर सोना, दिन में सोना आदि त्याग देते हैं। पंखा, कूलर और अन्य सुख-सुविधाओं के साधनों के साथ ही टीवी और मनोरंजन की चीजों से दूरी बना ली जाती है।
6. यात्रा का त्याग : उक्त चार माह में किसी भी प्रकार की यात्रा का त्याग कर दिया जाता है यदि आवश्यक हो तो ही यात्रा करें।
7. खरीददारी : इन दिनों में स्वयं के लिए कपड़े और ज्वैलरी नहीं खरीदी जाती।
8. पत्नी का संग : इन चार माह में पत्नी संग नहीं सोना चाहिए।
9. झूठ बोलना : इन चार माह में झूठ बोलना भी वर्जित है।
10. व्यर्थ के वार्तालाप और बहस का त्याग : इन चार माह में व्यर्थ के वार्तालाप और बहस से दूर रहते हैं।
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