Rambha Teej के दिन अप्सरा रंभा के इन 10 नामों के पूजन से बढ़ेगा सौंदर्य - FULLSKY NEWS

FULLSKY NEWS - India's most trusted Autobloging Blogspot For Latest Breaking News And Headlines

Breaking

Wednesday, June 1, 2022

Rambha Teej के दिन अप्सरा रंभा के इन 10 नामों के पूजन से बढ़ेगा सौंदर्य

चिरयौवना रंभा (Rambha) के बारे में कहा जाता है कि उनकी साधना करने से साधक के शरीर के रोग, जर्जरता एवं बुढ़ापा समाप्त हो जाते हैं। अप्सरा रंभा (Apsara Rambha)आकर्षक सुंदरतम वस्त्र, अलंकार और सौंदर्य प्रसाधनों से युक्त-सुसज्जित देवी है। रंभा के मंत्र सिद्ध होने पर वह साधक के साथ छाया के तरह जीवन भर सुंदर और सौम्य रूप में रहती है तथा उसके सभी मनोरथों को पूर्ण करने में सहायक होती है। 

 

यह जीवन की सर्वश्रेष्ठ साधना है। जिसे देवताओं ने सिद्ध किया इसके साथ ही ऋषि मुनि, योगी, संन्यासी आदि ने भी सिद्ध किया इस सौम्य साधना को। इस साधना से प्रेम और समर्पण के गुण व्यक्ति में स्वतः प्रस्फुरित होते हैं क्योंकि जीवन में यदि प्रेम नहीं होगा तो व्यक्ति तनावों में बीमारियों से ग्रस्त होकर समाप्त हो जाएगा। 

 

प्रेम को अभिव्यक्त करने का सौभाग्य और सशक्त माध्यम है रंभा साधना। 

 

यहां पढ़ें साधना विधि- Apsara Rambha Sadhna Vidhi

 

सामग्री : प्राण प्रतिष्ठित रंभोत्कीलन यंत्र, रंभा माला, सौंदर्य गुटिका तथा साफल्य मुद्रिका। 

 

यह रात्रिकालीन 27 दिन की साधना है। इस साधना को किसी भी पूर्णिमा या शुक्रवार को अथवा किसी भी विशेष मुहूर्त में प्रारंभ करें। साधना प्रारंभ करने से पूर्व साधक को चाहिए कि स्नानादि से निवृत्त होकर अपने सामने चौकी पर गुलाबी वस्त्र बिछा लें, पीला या सफेद किसी भी आसान पर बैठे, आकर्षक और सुंदर वस्त्र पहनें। पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें। घी का दीपक जला लें। सामने चौकी पर एक थाली रख लें, दोनों हाथों में गुलाब की पंखुडियां लेकर रंभा का आह्वान करें। 

 

|| ॐ ! रंभे अगच्छ पूर्ण यौवन संस्तुते ||

 

यह आवश्यक है कि यह आह्वान कम से कम 101 बार अवश्य हो प्रत्येक आह्वान मंत्र के साथ गुलाब की पांखुरी थाली में रखें। इस प्रकार आह्वान से पूरी थाली पांखुरियों से भर दें। 

 

अब अप्सरा माला को पंखुरियों के ऊपर रख दें इसके बाद अपने बैठने के आसान पर और अपने ऊपर इत्र छिडकें। रंभोत्कीलन यंत्र को माला के ऊपर आसन पर स्थापित करें। गुटिका को यंत्र के दाएं तरफ तथा साफल्य मुद्रिका को यंत्र के बाएं तरफ स्थापित करें। सुगंधित अगरबत्ती एवं घी का दीपक साधना काल तक जलते रहना चाहिए। 

 

सबसे पहले गुरु पूजन ओर गुरु मंत्र जप कर लें। फिर यंत्र तथा अन्य साधना सामग्री का पंचोपचार से पूजन संपन्न करें। स्नान, तिलक, धूप, दीपक एवं पुष्प चढ़ाएं। 

 

इसके बाद बाएं हाथ में गुलाबी रंग से रंग हुआ चावल रखें, और निम्न मंत्रों को बोलकर यंत्र पर चढ़ाएं। 

 

रंभा के नाम मंत्र-mantra of rambha 

 

|| ॐ दिव्यायै नमः ||

|| ॐ प्राणप्रियायै नमः ||

|| ॐ वागीश्वर्ये नमः ||

|| ॐ ऊर्जस्वलायै नमः ||

|| ॐ सौंदर्य प्रियायै नमः ||

|| ॐ यौवनप्रियायै नमः ||

|| ॐ ऐश्वर्यप्रदायै नमः ||

|| ॐ सौभाग्यदायै नमः ||

|| ॐ धनदायै रम्भायै नमः ||

|| ॐ आरोग्य प्रदायै नमः ||

 

इसके बाद प्रतिदिन निम्नलिखित मंत्र से 11 माला प्रतिदिन जप करें।

 

मंत्र : || ॐ हृीं रं रम्भे ! आगच्छ आज्ञां पालय मनोवांछितं देहि ऐं ॐ नमः

 

प्रत्येक दिन अप्सरा का आह्वान करें। हर शुक्रवार को दो गुलाब की माला रखें, एक माला स्वयं पहन लें, दूसरी माला को रखें, जब भी ऐसा आभास हो कि किसी का आगमन हो रहा है अथवा सुगंध एकदम बढ़ने लगे अप्सरा का बिंब नेत्र बंद होने पर भी स्पष्ट होने लगे तो दूसरी माला सामने यंत्र पर पहना दें। 

 

27 दिन की साधना में प्रत्येक दिन नए-नए अनुभव होते हैं, चित्त में सौंदर्य भाव बढ़ने लगता है, कई बार तो रूप में अभिवृद्धि स्पष्ट दिखाई देती है। 

 

साधना पूर्णता के पश्चात मुद्रिका को अनामिका अंगुली में पहन लें, शेष सभी सामग्री को जल में प्रवाहित कर दें। यह सुपरिक्षित साधना है। पूर्ण मनोयोग से साधना करने पर अवश्य मनोकामना पूर्ण होती ही है। 

 

विशेष : जो लोग पूर्ण विधि-विधान से साधना नहीं कर सकते, वे पूर्णत: शुद्ध होकर रंभा तीज पर या प्रति शुक्रवार रंभा के 10 नामों का जाप करें। उन्हें भी लाभ अवश्य ही होगा। 

ALSO READ: रंभा तीज कब है? कैसे करें पूजन

 




from ज्योतिष https://ift.tt/vgJBWiV
via IFTTT

No comments:

Post a Comment

Post Bottom Ad

Pages