Mahamrityunjaya Mantra
महामृत्युंजय मंत्र (Mahamrityunjaya Mantra) को शास्त्रों में इसे महामंत्र कहा गया है। इस मंत्र के जप से व्यक्ति निरोगी रहता है। इस मंत्र लंबी उम्र और अच्छी सेहत का मंत्र भी कहते हैं। आइए जानें इस महामंत्र की उत्पत्ति की कहानी ?
शिव के महामृत्युंजय मंत्र की उत्पत्ति के बारे में पौराणिक कथा प्रचलित है।
कथा के अनुसार, शिव भक्त ऋषि मृकण्डु ने संतान प्राप्ति के लिए भगवान शिव की कठोर तपस्या की। तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने ऋषि मृकण्डु को इच्छानुसार संतान प्राप्त होने का वर तो दिया परन्तु शिव जी ने ऋषि मृकण्डु को बताया कि यह पुत्र अल्पायु होगा। यह सुनते ही ऋषि मृकण्डु विषाद से घिर गए। कुछ समय बाद ऋषि मृकण्डु को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। ऋषियों ने बताया कि इस संतान की उम्र केवल 16 साल ही होगी। ऋषि मृकण्डु दुखी हो गए....
यह देख जब उनकी पत्नी ने दुःख का कारण पूछा तो उन्होंने सारी बात बताई। तब उनकी पत्नी ने कहा कि यदि शिव जी की कृपा होगी, तो यह विधान भी वे टाल देंगे। ऋषि ने अपने पुत्र का नाम मार्कण्डेय रखा और उन्हें शिव मंत्र भी दिया। मार्कण्डेय शिव भक्ति में लीन रहते। जब समय निकट आया तो ऋषि मृकण्डु ने पुत्र की अल्पायु की बात पुत्र मार्कण्डेय को बताई। साथ ही उन्होंने यह दिलासा भी दी कि यदि शिवजी चाहेंगें तो इसे टाल देंगें।
माता-पिता के दुःख को दूर करने के लिए मार्कण्डेय ने शिव जी से दीर्घायु का वरदान पाने के लिए शिव जी आराधना शुरू कर दी। मार्कण्डेय जी ने दीर्घायु का वरदान की प्राप्ति हेतु शिव जी की आराधना के लिए महामृत्युंजय मंत्र (महामृत्युंजय मंत्र : ॐ त्र्यम्बकं स्यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥) की रचना की और शिव मंदिर में बैठ कर इसका अखंड जाप करने लगे।
समय पूरा होने पर मार्कण्डेय के प्राण लेने के लिए यमदूत आए परंतु उन्हें शिव की तपस्या में लीन देखकर वे यमराज के पास वापस लौट आए... पूरी बात बताई। तब मार्कण्डेयके प्राण लेने के लिए स्वयं साक्षात यमराज आए। यमराज ने जब अपना पाश जब मार्कण्डेय पर डाला, तो बालक मार्कण्डेय शिवलिंग से लिपट गए। ऐसे में पाश गलती से शिवलिंग पर जा गिरा। यमराज की आक्रमकता पर शिव जी बहुत क्रोधित हुए और यमराज से रक्षा के लिए भगवान शिव प्रकट हुए। इस पर यमराज ने विधि के नियम की याद दिलाई।
तब शिवजी ने मार्कण्डेय को दीर्घायु का वरदान देकर विधान ही बदल दिया। सा थ ही यह आशीर्वाद भी दिया कि जो कोई भी इस मंत्र का नियमित जाप करेगा वह कभी अकाल मृत्यु को प्राप्त नहीं होगा।
महामृत्युंजय मंत्र से होते हैं ये चमत्कार :
1. महामृत्युंजय मंत्र जपने से अकाल मृत्यु तो टलती है।
2. महामृत्युंजय मंत्र बोलते हुए शिवाभिषेक करने पर जीवन में कभी स्वास्थ्य की समस्या नहीं आती है।
3. स्नान करते समय महामृत्युंजय मंत्र बोलते हुए शरीर पर लोटे से पानी डालने से स्वास्थ्य लाभ होता है।
4. इस मंत्र जाप से जीवन की बहुत-सी बाधाएं दूर होती हैं।
5. महामृत्युंजय मंत्र अभीष्ट सिद्धि देने वाला, पुत्र प्राप्ति, मान-सम्मान, धनलाभ में भी लाभदायी है।
6. यदि दूध को निहारते हुए महामृत्युंजय मंत्र जाप करके वह दूध पी लिया जाए तो यौवन की सुरक्षा होती है।
7. महामृत्युंजय मंत्र से आरोग्य तथा लंबी आयु की प्राप्ति होती है।
8. महामृत्युंजय मंत्र महामारी, असाध्य रोग आदि में भी लाभकारी है।
9. महामृत्युंजय जप से सभी मनोकामना पूर्ण होती है।
10. घर में परस्पर क्लेश हो रहा हो तो महामृत्युंजय जाप से मुक्ति पाई जा सकती है।
ॐ त्र्यम्बकं स्यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
Mahamrityunjaya Mantra
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