11 अगस्त, गुरुवार को है रक्षाबंधन का शुभ पर्व, जानिए मुहूर्त, त्योहार की विधि और पौराणिक कथा - FULLSKY NEWS

FULLSKY NEWS - India's most trusted Autobloging Blogspot For Latest Breaking News And Headlines

Breaking

Tuesday, August 9, 2022

11 अगस्त, गुरुवार को है रक्षाबंधन का शुभ पर्व, जानिए मुहूर्त, त्योहार की विधि और पौराणिक कथा

Rakhi Festival 2022 
 

वर्ष 2022 में 11 अगस्त, गुरुवार को रक्षाबंधन (raksha bandhan 2022) यानी राखी का पर्व (Rakshi Festival 2022) मनाया जा रहा है। इस बार श्रावण शुक्ल पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 11 अगस्त को सुबह 10.38 मिनट से शुरू होगा तथा शुक्रवार, 12 अगस्त की सुबह 07.05 मिनट पर पूर्णिमा तिथि समाप्त होगी। आइए यहां जानते हैं रक्षाबंधन बंधन के त्योहार के शुभ मुहूर्त, त्योहार की विधि एवं इंद्राणी की कथा- 

 

raksha bandhan muhurat 2022 : रक्षाबंधन बंधन के मुहूर्त- 11 अगस्त 2022, गुरुवार 

- 11 अगस्त राखी बांधने का शुभ समय- सुबह 09.28 मिनट से रात 09.14 मिनट।

- अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 12.06 मिनट से 12.57 मिनट तक।

- अमृत काल- सायं 06.55 मिनट से रात 08.20 मिनट तक।

- ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 04.29 मिनट से 05.17 मिनट तक।

- राहुकाल का समय- दोपहर 02.08 मिनट से 03.45 मिनट तक। 

 

रक्षाबंधन की विधि : raksha bandhan vidhi

 

1. रक्षाबंधन के दिन प्रातः जल्दी उठकर स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें।

 

2. पूरे घर को साफ करें और चावल के आटे का चौक पूरकर मिट्टी के छोटे से घड़े की स्थापना करें।

 

3. अब चावल, कच्चे सूत का कपड़ा, सरसों, रोली को एकसाथ मिलाएं। 

 

4. फिर पूजा की थाली तैयार कर दीप जलाएं, उसमें मिठाई रखें। 

 

5. इसके बाद भाई को पीढ़े पर बिठाएं (आम की लकड़ी का बना पीढ़ा सर्वश्रेष्ठ माना जाता है)। 

 

6. भाई को पूर्वाभिमुख, पूर्व दिशा की ओर बिठाएं। 

 

7. भाई को तिलक लगाते समय बहन का मुंह पश्चिम दिशा की ओर होना चाहिए।

 

8. इसके बाद भाई के माथे पर टीका लगाकर दाहिने हाथ पर राखी बांधें।

 

9. राखी बांधते समय 'येन बद्धो बलिराजा, दानवेन्द्रो महाबलः तेनत्वाम प्रति बद्धनामि रक्षे, माचल-माचलः' मंत्र का जाप करें। 

 

10. राखी बांधने के बाद भाई की आरती उतारें फिर भाई को मिठाई खिलाएं। 

 

11. बहन यदि बड़ी हों तो छोटे भाई को आशीर्वाद दें और यदि छोटी हों तो बड़े भाई को प्रणाम कर आशीर्वाद लें।

 

पूर्णिमा के दिन विधि-विधानपूर्वक प्रातःकाल हनुमान जी एवं पित्तरों को स्मरण व चरण स्पर्श करके जल, रोली, मौली, धूप, फूल, चावल, प्रसाद, नारियल, राखी, दक्षिणा आदि चढ़ाकर दीपक जलाना चाहिए। भोजन के पहले घर के सब पुरुष व स्त्रियां राखी बांधें। बहनें अपने भाई को राखी बांधकर तिलक करें व गोला, नारियल दें। भाई बहन को प्रसन्न करने के लिए रुपए अथवा यथाशक्ति उपहार देने से घर में प्रसन्नता आती है तथा राखी के दिन रक्षा सूत्र बांधने से विजय मिलती है। 
 

राखी पर्व की पौराणिक कथा : rakhi pauranik katha

 

राखी या रक्षाबंधन की पौराणिक कथा के अनुसार एक बार देव व दानवों में जब युद्ध शुरू हुआ, तब दानव हावी होते नजर आने लगे। भगवान इंद्र घबराकर गुरु बृहस्पति के पास गए और अपनी व्यथा सुनाने लगे। 

 

इंद्र की पत्नी इंद्राणी यह सब सुन रही थी। उन्होंने एक रेशम का धागा मंत्रों की शक्ति से पवित्र कर अपने पति की कलाई पर बांध दिया। वह श्रावण पूर्णिमा का दिन था। 

 

अत: इंद्र को इस युद्ध में विजय प्राप्त हुई। तभी से विश्वास है कि इंद्र को विजय इस रेशमी धागा पहनने से मिली थी। उसी दिन से श्रावण पूर्णिमा के दिन यह धागा बांधने की प्रथा चली आ रही है। यह धागा ऐश्वर्य, धन, शक्ति, प्रसन्नता और विजय देने में पूरी तरह सक्षम माना जाता है।


Rakhi Parv 2022
 



ALSO READ: Raksha Bandhan 2022 : इस राखी पर क्या है भद्रा की स्थिति, जानें रक्षाबंधन के श्रेष्ठ मुहूर्त

ALSO READ: इस बार कब आएगा रक्षाबंधन, जानिए तिथि और मुहूर्त सहित जरूरी बातें

 

 

पूर्णिमा के दिन विधि-विधानपूर्वक प्रातःकाल हनुमान जी एवं पित्तरों को स्मरण व चरण स्पर्श करके जल, रोली, मौली, धूप, फूल, चावल, प्रसाद, नारियल, राखी, दक्षिणा आदि चढ़ाकर दीपक जलाना चाहिए। भोजन के पहले घर के सब पुरुष व स्त्रियां राखी बांधें। बहनें अपने भाई को राखी बांधकर तिलक करें व गोला, नारियल दें। भाई बहन को प्रसन्न करने के लिए रुपए अथवा यथाशक्ति उपहार देने से घर में प्रसन्नता आती है तथा राखी के दिन रक्षा सूत्र बांधने से विजय मिलती है। 



from ज्योतिष https://ift.tt/kGt1SHd
via IFTTT

No comments:

Post a Comment

Post Bottom Ad

Pages