पोला पिठोरा क्या है, जानिए कैसे मनाया जाता है यह पर्व, 5 उपाय - FULLSKY NEWS

FULLSKY NEWS - India's most trusted Autobloging Blogspot For Latest Breaking News And Headlines

Breaking

Tuesday, August 23, 2022

पोला पिठोरा क्या है, जानिए कैसे मनाया जाता है यह पर्व, 5 उपाय

pola festival 
 

- राजश्री कासलीवाल

पोला पिठोरा क्या है : इस बार 27 अगस्त 2022, शनिवार को पोला पिठोरा पर्व मनाया जाएगा। इस दिन कुशोत्पाठिनी अमावस्या है। भाद्रपद मास की इस अमावस्या तिथि को कुशग्रहणी अमावस्या भी कहते हैं। प्रतिवर्ष पिठोरी अमावस्या पर मनाया जाने वाला पोला-पिठोरा पर्व मूलत: खेती-किसानी से जुड़ा त्योहार है, जो अगस्त महीने में खेती-किसानी का काम समाप्त हो जाने के बाद भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को पोला त्योहार मनाया जाता है।

भाद्रपद कृष्ण अमावस्या के दिन यह पर्व खासकर महाराष्ट्र, कर्नाटक तथा छत्तीसगढ़ में मनाया जाता है। इस बार पोला पर्व पर बाजारों में त्योहार की रौनक नजर आ सकती हैं, इसका कारण अभी कोरोना पर प्रतिबंध नहीं होना भी है। 

 

महाराष्ट्रीयन समुदाय में पिठोरी अमावस्या पर पोला (पोळा) पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। यह छत्तीसगढ़ का लोक पर्व भी है। इस दिन अपने पुत्रों की दीर्घायु के लिए चौसष्ठ योगिनी और पशुधन का पूजन किया जाता है। इस अवसर पर जहां घरों में बैलों की पूजा जाती हैं, वहीं तरह-तरह के पकवानों का लुत्फ भी उठाया जाता है।

दरअसल, यह त्योहार कृषि आधारित पर्व है। वास्तव में इस पर्व का मतलब खेती-किसानी, जैसे निंदाई-रोपाई आदि का कार्य समाप्त हो जाना है, लेकिन कई बार अनियमित वर्षा के कारण ऐसा नहीं हो पाता है। बैल किसानों के जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। किसान बैलों को देवतुल्य मानकर उसकी पूजा-अर्चना करते हैं।

 

पोला त्योहार मनाने के पीछे यह कहावत है कि अगस्त माह में खेती-किसानी का काम समाप्त होने के बाद इसी दिन अन्न माता गर्भ धारण करती है यानी धान के पौधों में इस दिन दूध भरता है इसीलिए यह त्योहार मनाया जाता है। यह त्योहार पुरुषों-स्त्रियों एवं बच्चों के लिए अलग-अलग महत्व रखता है। इस दिन पुरुष पशुधन (बैलों) को सजाकर उनकी पूजा करते हैं। इसके साथ ही इस दिन 'बैल सजाओ प्रतियोगिता' का आयोजन किया जाता है।

 

महिलाएं इस त्योहार के वक्त अपने मायके जाती हैं। छोटे बच्चे मिट्टी के बैलों की पूजा करते हैं। इस दिन शहर से लेकर गांव तक पोला पर्व की धूम रहती है। इस दौरान जगह-जगह बैलों की पूजा-अर्चना होती है। 

 

पर्व के 2-3 दिन पहले से ही बाजारों में मिट्टी के बैलजोड़ी बिकते दिखाई देते हैं। बढ़ती महंगाई के कारण इनके दामों में भी बढ़ोतरी हो गई है। इसके अलावा मिट्टी के अन्य खिलौनों की भी भरमार बाजारों में दिखाई देती है। पिठोरी अमावस्या के दिन मिट्टी और लकड़ी से बने बैल चलाने की भी परंपरा है। 

 

कैसे मनाया जाता है पर्व : महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में मनाया जाने वाला लोक पर्व 'पोला' (Bail Pola Festival Maharashtra) का नजारा देखने में बहुत ही खूबसूरत दिखाई देता है। कई समाजवासी पोला पर्व को बहुत ही उत्साहपूर्वक मनाते हैं। बैलों की जोड़ी का यह पोला उत्सव देखते ही बनता है।

खासतौर पर छत्तीसगढ़ में इस लोकपर्व पर घरों में ठेठरी, खुरमी, चौसेला, खीर-पूरी जैसे कई लजीज व्यंजन बनाए जाते हैं। महाराष्‍ट्रीयन परिवारों में पोला पर्व के दिन घरों में खासतौर पर पूरणपोली (पूरणपोळी) और खीर बनाई जाती है। बैलों को सजाकर उनका पूजन किया जाता है, फिर उन्हें पूरणपोली और खीर भी खिलाई जाती है। 

 

गांव के किसान भाई सुबह से ही बैलों को नहला-धुलाकर उन्हें सजाते हैं तथा घर लाकर विधिवत उनकी पूजा-अर्चना करके घरों में बने पकवान खिलाते हैं। जिन-जिन घरों में बैल होते हैं, वे इस दिन अपने बैलों की जोड़ी को अच्छी तरह सजा-संवारकर इस दौड़ में लाते हैं। मोती मालाओं तथा रंग-बिरंगे फूलों और प्लास्टिक के डिजाइनर फूलों और अन्य आकृतियों से सजी खूबसूरत बैलों की जोड़ी हर इंसान का मन मोह लेती है।

शहर के प्रमुख स्थानों से उनकी रैली निकाली जाती है। पहले कई गांवों में इस अवसर पर बैल दौड़ का भी आयोजन किया जाता था, लेकिन समय के साथ यह परपंरा अब कहीं-कहीं दिखाई पड़ती है। इस अवसर पर बैल दौड़ और बैल सौंदर्य प्रतियोगिता का आयोजन भी किया जाता है। इसमें अधिक से अधिक किसान अपने बैलों को सजाकर इस प्रतियोगिता में भाग लेते हैं। इस दौरान खास सजी-संवरी बैलों की जोड़ी को  पुरस्कार भी दिया जाता है। 

 

पिठोरी अमावस्या के दिन बैलों के पूजन के बाद माताएं अपने पुत्रों से पहले 'अतिथि कौन?' इस तरह पूछेंगी और इस दौरान पुत्र अपना नाम माता को बताएंगे, उसके बाद ही पूरणपोली और खीर का प्रसाद ग्रहण करेंगे। 

 

पिठोरी अमावस्या के 5 उपाय : 

 

हनुमान चालीसा, सुंदरकांड, शनि मंत्रों का जप,हवन,कालसर्प दोष व नवग्रह शांति करवाएं।

 

1. पिठोरी अमावस्या के दिन भगवान भोलेनाथ का तिल के तेल से रुद्राभिषेक करें।

 

2. आज के दिन मंदिर के बाहर असहाय व्यक्तियों को इमरती एवं नमकीन का दान करें।

 

3. पोला पिठोरा के दिन ब्राह्मण को काला छाता, छड़ी, काले वस्त्र, चमड़े के जूते, लोहे की वस्तु, खिचड़ी, तेल, मिठाई आदि का दान करें।

 

4. नंदी बैल बुद्धि और ज्ञान का प्रतीक तथा भगवान शिव जी वाहन माना जाता है। अत: शिव जी को प्रसन्न करने के लिए इस दिन मिट्टी और लकड़ी से बने बैलों की जोड़ी लाकर घर में रखें तथा उनका पूजन करें।

 

5. इस दिन जितना ज्यादा हो सकें काले कुत्ते तथा बैल की सेवा करें तथा कौए व मछलियों को अन्न तथा काले घोड़े को भीगे हुए चने खिलाएं।

pola parv 2022
 


ALSO READ: कुशोत्पाटिनी अमावस्या : कुश घास को एकत्र करने के क्या हैं नियम और तरीका

ALSO READ: Kushotpatini Amavasya 2022 : कब है कुशोत्पाटिनी अमावस्या, जानिए महत्व

 




from ज्योतिष https://ift.tt/e9kMrxH
via IFTTT

No comments:

Post a Comment

Post Bottom Ad

Pages