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Friday, September 30, 2022

आज ललिता पंचमी : कौन हैं मां ललिता? यहाँ पढ़ें ललिता माता चालीसा, ललिता माता आरती और मां ललिता का दुर्लभ मंत्र

lalita panchami 2022 
 


आज ललिता पंचमी (lalita panchami 2022) है शारदीय नवरात्रि में दुर्गा देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है। और नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता के साथ ही ललिता पंचमी भी मनाई जाती है। इस दिन व्रत रखकर माता ललिता, शिव जी तथा स्कंद माता का पूजन किया जाता है। 

 

कौन हैं मां ललिता- पौराणिक शास्त्रों के अनुसार ललिता देवी माता सती पार्वती का ही एक रूप हैं। देवी ललिता का ध्यान रूप बहुत ही उज्ज्वल व प्रकाशवान है। देवी ललिता की दो भुजाएं हैं। यह माता गौर वर्ण होकर रक्तिम कमल पर विराजित हैं। दक्षिणमार्गी शाक्तों के मतानुसार देवी ललिता को 'चंडी' का स्थान प्राप्त है। 

मां ललिता दस महाविद्याओं में से ही एक हैं, अत: पंचमी के दिन ललिता पंचमी व्रत रखने से सभी कष्‍ट दूर होकर ललिता माता का विशेष आशीर्वाद मिलता है। जनमानस में इसे 'उपांग ललिता व्रत' के नाम से जाना जाता है। 

 

यहां पढ़ें चालीसा, आरती और विशेष मंत्र- 

 

मां ललिता चालीसा : जयति-जयति जय ललिते माता...

 

।।चौपाई।।

 

जयति-जयति जय ललिते माता। तव गुण महिमा है विख्याता।।

तू सुन्दरी, त्रिपुरेश्वरी देवी। सुर नर मुनि तेरे पद सेवी।।

 

तू कल्याणी कष्ट निवारिणी। तू सुख दायिनी, विपदा हारिणी।।

मोह विनाशिनी दैत्य नाशिनी। भक्त भाविनी ज्योति प्रकाशिनी।।

 

आदि शक्ति श्री विद्या रूपा। चक्र स्वामिनी देह अनूपा।।

हृदय निवासिनी-भक्त तारिणी। नाना कष्ट विपति दल हारिणी।।

 

दश विद्या है रूप तुम्हारा। श्री चन्द्रेश्वरी नैमिष प्यारा।।

धूमा, बगला, भैरवी, तारा। भुवनेश्वरी, कमला, विस्तारा।।

 

षोडशी, छिन्न्मस्ता, मातंगी। ललितेशक्ति तुम्हारी संगी।।

ललिते तुम हो ज्योतित भाला। भक्तजनों का काम संभाला।।

 

भारी संकट जब-जब आए। उनसे तुमने भक्त बचाए।।

जिसने कृपा तुम्हारी पाई। उसकी सब विधि से बन आई।।

 

संकट दूर करो मां भारी। भक्तजनों को आस तुम्हारी।।

त्रिपुरेश्वरी, शैलजा, भवानी। जय-जय-जय शिव की महारानी।।

 

योग सिद्धि पावें सब योगी। भोगें भोग महा सुख भोगी।।

कृपा तुम्हारी पाके माता। जीवन सुखमय है बन जाता।।

 

दुखियों को तुमने अपनाया। महा मूढ़ जो शरण न आया।।

तुमने जिसकी ओर निहारा। मिली उसे संपत्ति, सुख सारा।।

 

आदि शक्ति जय त्रिपुर प्यारी। महाशक्ति जय-जय, भय हारी।।

कुल योगिनी, कुंडलिनी रूपा। लीला ललिते करें अनूपा।।

 

महा-महेश्वरी, महाशक्ति दे। त्रिपुर-सुन्दरी सदा भक्ति दे।।

महा महा-नन्दे कल्याणी। मूकों को देती हो वाणी।।

 

इच्छा-ज्ञान-क्रिया का भागी। होता तब सेवा अनुरागी।।

जो ललिते तेरा गुण गावे। उसे न कोई कष्ट सतावे।।

 

सर्व मंगले ज्वाला-मालिनी। तुम हो सर्वशक्ति संचालिनी।।

आया मां जो शरण तुम्हारी। विपदा हरी उसी की सारी।।

 

नामा कर्षिणी, चिंता कर्षिणी। सर्व मोहिनी सब सुख-वर्षिणी।।

महिमा तव सब जग विख्याता। तुम हो दयामयी जग माता।।

 

सब सौभाग्य दायिनी ललिता। तुम हो सुखदा करुणा कलिता।।

आनंद, सुख, संपत्ति देती हो। कष्ट भयानक हर लेती हो।।

 

मन से जो जन तुमको ध्यावे। वह तुरंत मन वांछित पावे।।

लक्ष्मी, दुर्गा तुम हो काली। तुम्हीं शारदा चक्र-कपाली।।

 

मूलाधार, निवासिनी जय-जय। सहस्रार गामिनी मां जय-जय।।

छ: चक्रों को भेदने वाली। करती हो सबकी रखवाली।।

 

योगी, भोगी, क्रोधी, कामी। सब हैं सेवक सब अनुगामी।।

सबको पार लगाती हो मां। सब पर दया दिखाती हो मां।।

 

हेमावती, उमा, ब्रह्माणी। भण्डासुर की हृदय विदारिणी।।

सर्व विपति हर, सर्वाधारे। तुमने कुटिल कुपंथी तारे।।

 

चन्द्र-धारिणी, नैमिश्वासिनी। कृपा करो ललिते अधनाशिनी।।

भक्तजनों को दरस दिखाओ। संशय भय सब शीघ्र मिटाओ।।

 

जो कोई पढ़े ललिता चालीसा। होवे सुख आनंद अधीसा।।

जिस पर कोई संकट आवे। पाठ करे संकट मिट जावे।।

 

ध्यान लगा पढ़े इक्कीस बारा। पूर्ण मनोरथ होवे सारा।।

पुत्रहीन संतति सुख पावे। निर्धन धनी बने गुण गावे।।

 

इस विधि पाठ करे जो कोई। दु:ख बंधन छूटे सुख होई।।

जितेन्द्र चन्द्र भारतीय बतावें। पढ़ें चालीसा तो सुख पावें।।

 

सबसे लघु उपाय यह जानो। सिद्ध होय मन में जो ठानो।।

ललिता करे हृदय में बासा। सिद्धि देत ललिता चालीसा।।

 

।।दोहा।।

 

ललिते मां अब कृपा करो सिद्ध करो सब काम।

श्रद्धा से सिर नाय करे करते तुम्हें प्रणाम।।

 

ललिता माता की आरती: lalita mata ki aarti

 

(जय शरणं वरणं नमो नम:)

 

श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरी!

राजेश्वरी जय नमो नम:!!

 

करुणामयी सकल अघ हारिणी!

अमृत वर्षिणी नमो नम:!!

 

जय शरणं वरणं नमो नम:

श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरी...!

 

अशुभ विनाशिनी, सब सुखदायिनी!

खलदल नाशिनी नमो नम:!!

 

भंडासुर वध कारिणी जय मां!

करुणा कलिते नमो नम:!!

 

जय शरणं वरणं नमो नम:

श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरी...!

 

भव भय हारिणी कष्ट निवारिणी!

शरण गति दो नमो नम:!!

 

शिव भामिनी साधक मन हारिणी!

आदि शक्ति जय नमो नम:!!

 

जय शरणं वरणं नमो नम:!

श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरी...!!

 

जय त्रिपुर सुंदरी नमो नम:!

जय राजेश्वरी जय नमो नम:!!

 

जय ललितेश्वरी जय नमो नम:!

जय अमृत वर्षिणी नमो नम:!!

 

जय करुणा कलिते नमो नम:!

श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरी...!

 

ललिता मां का दुर्लभ मंत्र-Lalita mantra 
 

'ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौ: ॐ ह्रीं श्रीं क ए ई ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं सकल ह्रीं सौ: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं नमः।' 

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Maa lalita panchami




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