डोल ग्यारस का क्या है महत्व, कैसे करें पूजन, क्या बोलें मंत्र - FULLSKY NEWS

FULLSKY NEWS - India's most trusted Autobloging Blogspot For Latest Breaking News And Headlines

Breaking

Monday, September 5, 2022

डोल ग्यारस का क्या है महत्व, कैसे करें पूजन, क्या बोलें मंत्र

Dol Gyaras
 

महत्व- धार्मिक शास्त्रों के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर से डोल ग्यारस (Dol Gyaras 2022) के पर्व का महत्व कहा था। मान्यतानुसार भाद्रपद शुक्ल एकादशी के दिन का पूजा की दृष्टि से विशेष महत्व है। यह दिन जलझूलनी, पद्मा एकादशी, डोल ग्यारस के नाम से जनमानस में प्रचलित है। इस वर्ष यह पर्व 6 सितंबर 2022 को मनाया जा रहा है। 

 

इस एकादशी व्रत में भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा तथा डोल ग्यारस होने के कारण भगवान श्री कृष्ण का पूजन खास तौर पर किया जाता है। भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को भगवान विष्णु विश्राम के दौरान करवट बदलते हैं। अत: इसे परिवर्तिनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।

आइए जानते हैं पूजन विधि और मंत्र-Dol Gyaras Celebration 

 

पूजा विधि-Puja Vidhi 

 

एकादशी का व्रत दशमी की तिथि से ही आरंभ हो जाता है। 

 

इस व्रत में ब्रह्मचर्य का पालन करें। 

 

व्रत का संकल्प एकादशी तिथि को ही शुभ मुहूर्त में लिया जाता है। 

 

परिवर्तिनी एकादशी की तिथि पर स्नान करने के बाद पूजा आरंभ करें। 

 

इस दिन भगवान विष्णु एवं बालरूप श्री कृष्ण की पूजा की जाती हैं, जिनके प्रभाव से सभी व्रतों का पुण्यफल भक्त को मिलता हैं। 

 

इस दिन विष्णु के अवतार वामन देव की पूजा की जाती है, उनकी पूजा से त्रिदेव पूजा का फल प्राप्त होता हैं। 

 

इसके बाद पंचामृत, गंगा जल से स्नान करवा कर भगवान विष्णु को कुमकुम लगाकर पीले वस्तुओं से पूजा करें। 

 

पूजा में तुलसी, फल और तिल का उपयोग करना चाहिए। वामन अवतार की कथा सुनें और दीप जलाकर आरती करें। 

 

इस दिन रात के समय रतजगा किया जाता है। 

 

भगवान विष्णु की स्तुति करें।

 

अगले दिन एक बार पुन: भगवान का पूजन करके ब्राह्मणों को भोजन करवाएं और व्रत का समापन करें। 

 

फिर व्रत का पारण द्वादशी तिथि पर विधिपूर्वक करें। 

 

डोल ग्यारस व्रत के प्रभाव से सभी दुखों का नाश होता है। 

 

इस दिन कथा सुनने से मनुष्य का उद्धार हो जाता हैं। 

 

डोल ग्यारस की पूजा और व्रत का पुण्य वाजपेय यज्ञ, अश्वमेघ यज्ञ के समान ही माना जाता हैं। 

 

मंत्र-Mantras 
 

1. भगवान विष्णु के पंचाक्षर मंत्र 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' का तुलसी की माला से कम से 108 बार या अधिक से अधिक जाप करें।

 

2. 'ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीकृष्णाय गोविंदाय गोपीजन वल्लभाय श्रीं श्रीं श्री'। 

 

3. 'कृं कृष्णाय नमः' मंत्रों का 108 बार जाप करना चाहिए। 

 

इस दिन किए गए व्रत से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती है। 

krishnaa chalisa




from ज्योतिष https://ift.tt/4NpUEgL
via IFTTT

No comments:

Post a Comment

Post Bottom Ad

Pages