- सभी कमल पानी में ही उगते हैं या खिलते हैं, परंतु ब्रह्म कमल को गमले में भी उगा सकते हैं।
- ब्रह्म कमल सक फूल एक अद्भुत ही फूल है। यह वर्ष में एक बार ही उगते हैं।
- अगस्त और सितंबर में इसके फूल खिलते हैं और वह भी 4 या 5 घंटे के लिए।
- यह फूल अधिकतर यह हिमालय के राज्यों में ही पाया जाता है।
- आजकल लोग इसे घर में अपने गमले में भी उगाने लगे हैं। यह तलों या पानी के पास नहीं बल्कि ज़मीन में उगता है।
- ब्रह्म कमल खासकर उत्तराखंड राज्य का पुष्प है। यहां पर इनके पुष्पों की खेती भी होती है। उत्तराखंड में यह विशेषतौर पर पिण्डारी से लेकर चिफला, रूपकुंड, हेमकुण्ड, ब्रजगंगा, फूलों की घाटी, केदारनाथ तक पाया जाता है। लोग यहीं से इस फूल को लाकर अपने गमले में उगाते हैं।
- ब्रह्म कमल के लिए बड़ा सा मिट्टी का गमला होना चाहिए। इस गमले में नीचे सबसे पहले एक कागज बिछाकर उसके उपर बाली रेत बिछलाएं और फिर उसके बाद साफ और स्वच्छ काली मिट्टी भरें।
- भारत के अन्य भागों में इसे और भी कई नामों से पुकारा जाता है जैसे- हिमाचल में दूधाफूल, कश्मीर में गलगल और उत्तर-पश्चिमी भारत में बरगनडटोगेस। साल में एक बार खिलने वाले गुल बकावली को भी कई बार भ्रमवश ब्रह्मकमल मान लिया जाता है।
- ब्रह्म कमल को ससोरिया ओबिलाटा भी कहते हैं। इसका वानस्पतिक नाम एपीथायलम ओक्सीपेटालम है। चिकित्सकीय प्रयोग में इस फूल के लगभग 174 फार्मुलेशनस पाए गए हैं। वनस्पति विज्ञानियों ने इस दुर्लभ-मादक फूल की 31 प्रजातियां पाई जाती हैं।
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