Saraswati Puja
रविवार, 2 अक्टूबर 2022 को शारदीय नवरात्रि का सातवां दिन है। इस दिन की देवी कालरात्रि है तथा नवरात्रि में दुर्गा पूजा और सरस्वती पूजन (saraswati puja on navratri) से राहु से संबंधित सभी अनिष्ट समाप्त होते हैं।
जिस तरह नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से राहु के अशुभ फल दूर होते हैं। उसी तरह सप्तमी की तिथि को सरस्वती का आह्वान किया जाता है। राहु छाया ग्रह है और देवी दुर्गा को छायारूपेण कहा गया है। शास्त्रों के अनुसार राहु के लिए इष्ट देवी मां सरस्वती को माना गया है। लाल किताब में दुर्गा सप्तशती के प्रथम अध्याय में राहु का अचूक उपाय बताया गया है।
मां को अतिप्रिय नारियल भी राहु का ही प्रतीक है। अत: नवरात्रि के दिनों में सप्तमी के दिन माता सरस्वती का पूजन करने से ज्ञान, विद्या, संगीत, वाणी और शांति की प्राप्ति होती हैं।
यहां पढ़ें कैसे करें मां सरस्वती आह्वान-
पूजन विधि-sarasvati puja
1. सरस्वती पूजा करने के लिए सबसे पहले एक पटिए पर लाल कपड़ा बिछाकर सरस्वती माता की प्रतिमा या तस्वीर रखें।
2. नवरात्रि में देवी सरस्वती के पूजन के समय कलश के पास एक नारियल जरूर रखें।
3. मां सरस्वती को नीले पुष्प एवं अक्षत अर्पित करें।
4. सप्तमी के दिन काले हकीक की माला से दक्षिण-पश्चिम दिशा की तरफ मुंह रखकर राहु के बीज मंत्र- ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम: का जप करें।
5. सप्तमी तथा दुर्गाष्टमी के दिन सायंकाल के समय सरस्वती मंत्र, आरती, चालीसा तथा दुर्गा चालीसा, दुर्गा कवच, अर्गलास्तोत्र, कीलक स्तोत्र आदि सहित दुर्गा सप्तशती का विधिपूर्वक संपूर्ण पाठ करें। तपश्चात हवन करें।
6. हवन करते समय नीले पुष्प, सुपारी, पान, कमल गट्टा, जायफल, लौंग, छोटी इलायची, जौं, काले तिल, काली मिर्च, गूगल, शहद, घी की आहुति दें।
7. हवन में 'ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे' मंत्र की 108 आहुति, 'ॐ छौं छीं छौं स: राहवे स्वाहा' मंत्र की सूखी हुई दूब से 108 आहुति जरूर दें। अंत में नारियल की पूर्ण आहुति दें।
8. देवी सरस्वती पूजन के समय उन्हें गन्ना, कद्दू, अन्य फल या सब्जियां चढ़ाकर गरीबों को दान करें।
9. इस दिन सरस्वती माता को मालपुए या खीर का भोग लगाएं।
10. नर्वाण मंत्र 'ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे' का शाम को 108 बार जप करें।
मंत्र-
- सरस्वती बीज मंत्र- 'ऐं' इस एकाक्षरी मंत्र को अधिक से अधिक जाप करें।
- 'ॐ ऎं नमः'
- 'ॐ ऐं ह्रीं सरस्वत्यै नमः'
- 'वद वद वाग्वादिन्यै स्वाहा'
- 'ह्रीं ॐ ह्सौः ॐ सरस्वत्यै नमः'
- श्री सरस्वती-गायत्री मंत्र- ॐ ऐं वाग्दैव्यै विद्महे कामराजाय धीमही तन्नो देवी प्रचोदयात।
Saraswati Puja
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