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Thursday, April 6, 2023

Hanuman jayanti 2023 : हनुमानजी की इस प्रतिमा की करें पूजा, शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या नहीं सताएगी

हनुमानजी की कई तरह की प्रतिमाएं हम देखते हैं। हर प्रतिमा, मूर्ति या चित्र का अलग अलग प्रभाव और महत्व माना गया है। यदि हम मूर्ति या मंदिर की बात करें तो हनुमानजी की अधिकतर मूर्तियां दक्षिणमुखी या उत्तरमुखी मिलेगी। प्रतिमाओं में हाथ में पहाड़ उठाए हुए, पंचमुखी हनुमान या श्रीराम के चरणों में बैठे हनुमानजी नजर आएंगे। आओ जानते हैं कि उनकी कौनसी प्रतिमा की पूजा से शनिदेव का प्रभाव नहीं होता है।

 

1. पूर्वमुखी : पूर्व की तरफ जो मुंह है उसे 'वानर' कहा गया है। जिसकी प्रभा करोड़ों सूर्यो के तेज समान हैं। इनका पूजन करने से समस्त शत्रुओं का नाश हो जाता है। इस मुख का पूजन करने से शत्रुओं पर विजय पाई जा सकती है।

 

2.पश्चिममुखी : पश्चिम की तरफ जो मुंह है उसे 'गरूड़' कहा गया है। यह रूप संकटमोचन माना गया है। जिस प्रकार भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ अजर-अमर हैं उसी तरह इनको भी अजर-अमर माना गया है।

 

3.उत्तरामुखी हनुमान : उत्तर दिशा देवताओं की मानी जाती है। यही कारण है कि शुभ और मंगल की कामना उत्तरामुखी हनुमान की उपासना से पूरी होती है। उत्तर की तरफ जो मुंह है उसे 'शूकर' कहा गया है। इनकी उपासना करने से अबाध धन-दौलत, ऐश्वर्य, प्रतिष्ठा, लंबी आयु तथा निरोगी काया प्राप्त होती है।

 

4.दक्षिणामुखी हनुमान : दक्षिण की तरफ जो मुंह है उसे 'भगवान नृसिंह' कहा गया है। यह रूप अपने उपासको को भय, चिंता और परेशानीयों से मुक्त करवाता है। दक्षिण दिशा में सभी तरह की बुरी शक्तियों के अलावा यह दिशा काल की दिशा मानी जाती है। यदि आप अपने घर में उत्तर की दीवार पर हनुमानजी का चित्र लगाएंगे तो उनका मुख दक्षिण की दिशा में होगा। दक्षिण में उनका मुख होने से वह सभी तरह की बुरी शक्तियों से हमें बचाते हैं। इसलिए दक्षिणामुखी हनुमान की साधना काल, भय, संकट और चिंता का नाश करने वाली होती है। इससे शनि की सभी तरह की बाधा भी दूर रहो जाती है।

 

5.ऊर्ध्वमुख : हनुमानजी का ऊर्ध्वमुख रूप 'घोड़े' के समरूप है। यह स्वरूप ब्रह्माजी की प्रार्थना पर प्रकट हुआ था। मान्यता है कि हयग्रीवदैत्य का संहार करने के लिए वे अवतरित हुए थे।

 

6.पंचमुखी हनुमान : राम लक्ष्मण को अहिरावण से मुक्त कराने के लिए हनुमानजी ने पंचमुखी रूप धारण किया था। पांचों दीपक को एक साथ बुझाने पर अहिरावन का वध हो जाएगा इसी कारण हनुमान जी ने पंचमुखी रूप धरा। उत्तर दिशा में वराह मुख, दक्षिण दिशा में नरसिंह मुख, पश्चिम में गरुड़ मुख, आकाश की तरफ हयग्रीव मुख एवं पूर्व दिशा में हनुमान मुख।

 

वास्तुविज्ञान के अनुसार पंचमुखी हनुमानजी की मूर्ति जिस घर में होती है वहां उन्नति के मार्ग में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और धन संपत्ति में वृद्घि होती है। पंचमुखी हनुमानजी का उपरोक्त चित्र भी अच्छा है। यदि आपको लगता है कि आपके घर पर नकारात्मक शक्तियों का असर है तो आप पंचमुखी हनुमानजी का चित्र मुख्य द्वारा के ऊपर लगा सकते हैं या ऐसी जगह लगाएं जहां से यह सभी को नजर आए। ऐसा करने से घर में किसी भी तरह की बुरी शक्ति प्रवेश नहीं करेगी। इससे शनि की सभी तरह की बाधा भी दूर रहो जाती है।

 

7.एकादशी हनुमान : श्रीहनुमानजी रुद्र यानी शिव के ही ग्यारहवें अवतार माने गए हैं। ग्यारह मुख वाले कालकारमुख नामक एक भयानक बलवान राक्षस का वध करने के लिए श्रीराम की आज्ञा से हनुमानजी ने एकादश मुख रूप ग्रहण करके चैत्र पूर्णिमा (हनमान जयंती) को शनिश्चर के दिन उस राक्षस का उसकी सेना सहित वध कर दिया था। एकादशी और पंचमुखी हनुमान जी पूजा से सभी देवी और देवताओं की उपासना के फल मिलते हैं।

 

8.वीर हनुमान : जैसा की नाम से ही विदित है कि इस नाम से हनुमानजी की प्रतिमा की पूजा जीवन में साहस, बल, पराक्रम और आत्मविश्वास प्रदान कर सभी कार्यों की बाधाओं को दूर करती है।

 

9.भक्त हनुमान : राम की भक्ति करते हुए आपने हनुमानी का चित्र या मूर्ति देखी होगी। इस चित्र या मूर्ति की पूजा से जीवन के लक्ष्य को पाने में आ रहीं अड़चनें दूर होती है। साथ ही यह भक्ति जरूरी एकाग्रता और लगन देने वाली होती है। इस मूर्ति या चित्र में हनुमानजी हाथ में करताल लेकर राम की भक्ति करते नजर आएंगे।

 

10.दास हनुमान : हनुमानजी रामजी के दास हैं। सदा रामकाज करने को आतुर रहते हैं। दास हनुमान की आराधना से व्यक्ति के भीतर सेवा और समर्पण की भावना का विकास होता है। धर्म, कार्य और रिश्तों के प्रति समर्पण और सेवा होने से ही सफलता मिलती है। इस मूर्ति या चित्र में हनुमानजी प्रभु श्रीरामजी के चरणों में बैठे हुए हैं।

 

11.सूर्यमुखी हनुमान : शास्त्रों के मुताबिक श्रीहनुमान के गुरु सूर्यदेव हैं। सूर्य पूर्व दिशा से उदय होकर जगत को प्रकाशित करता है। सूर्यमुखी हनुमान की उपासना से ज्ञान, विद्या, ख्याति, उन्नति और सम्मान मिलता है। सूर्यमुखी हनुमान को ही पूर्वमुखी हनुमान कहते हैं।

 

12. किस दिशा में लगाएं हनुमानजी का चित्र : वास्तु के अनुसार हनुमानजी का चित्र हमेशा दक्षिण दिशा की ओर देखते हुए लगाना चाहिए। यह चित्र बैठी मुद्रा में लाल रंग का होना चाहिए। दक्षिण दिशा की ओर मुख करके हनुमानजी का चित्र इसलिए अधिक शुभ है क्योंकि हनुमानजी ने अपना प्रभाव सर्वाधिक इसी दिशा में दिखाया है। हनुमानजी का चित्र लगाने पर दक्षिण दिशा से आने वाली हर बुरी ताकत हनुमानजी का चित्र देखकर लौट जाती है। इससे घर में सुख और समृद्धि बढ़ती है।

हनुमानजी की तस्वीर का महत्व :

 

1. दक्षिणमुखी हनुमान : वास्तु के अनुसार हनुमानजी का चित्र हमेशा दक्षिण दिशा की ओर देखते हुए लगाना चाहिए। यह चित्र बैठी मुद्रा में लाल रंग का होना चाहिए।

 

2. उत्तरामुखी हनुमान : हनुमानजी की जिस फोटो का उनका मुख उत्तर दिशा की ओर होता है, वह उत्तरामुखी हनुमानजी स्वरूप है। इस स्वरूप की पूजा करने पर सभी देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त होती है।

 

3. पंचमुखी हनुमान : वास्तुविज्ञान के अनुसार पंचमुखी हनुमानजी की मूर्ति या चित्र जिस घर में होती है वहां उन्नति के मार्ग में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और धन संपत्ति में वृद्घि होती है। इनका मुख भी दक्षिण पश्चिम दिशा की तरफ हो।

 

4. रामदरबार : बैठक रूम में आप श्रीराम दरबार का फोटो लगाएं, जहां हनुमानजी प्रभु श्रीरामजी के चरणों में बैठे हुए हैं। रामदरबार से जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।

 

5. पर्वत उठाते हुए हनुमान का चित्र : यदि यह चित्र आपके घर में है तो आपमें साहस, बल, विश्‍वास और जिम्मेदारी का विकास होगा।

 

6 उड़ते हुए हनुमान : यदि यह चित्र आपके घर में है तो आपकी उन्नती, तरक्की और सफलता को कोई रोक नहीं सकता। आपमें आगे बढ़ने के प्रति उत्साह और साहस का संचार होगा। निरंतर आप सफलता के मार्ग पर बढ़ते जाएंगे।

 

7. श्रीराम भजन करते हुए हनुमान : यदि यह चित्र आपके घर में है तो आपमें भक्ति और विश्‍वास का संचार होगा। यह भक्ति और विश्‍वास ही आपके जीवन की सफलता का आधार है। इससे एकाग्रता और शक्ति भी बढ़ती है।

 

8. सफेद हनुमान : मान्यता है कि नौकरी और प्रमोशन पाने के लिए हनुमानजी की ऐसी फोटो लगाएं जिसमें उनका स्वरूप सफेद हो। आपने देखा भी होगा यह फोटो जिसमें उनके शरीर पर सफेद बाल हैं।

 

9. राम मिलन हनुमान : हनुमान जी राम के गले मिल रहे हैं। यह भी अद्भत चित्र है जिससे पारिवार में एकता और समाज में मिलनसारीता बनी रहती है। इससे प्रेम के भाव का विकास होता है।

 

10. ध्यान करते हनुमानजी : ऐसे हनुमान जो आंख बंद कर ध्यान कर रहे हैं। यदि चित्र लगाने से आपके मन में भी शांति और ध्यान का विकास होगा। हालांकि यह चित्र तब ही लगाएं जबकि आपको ध्यान और मोक्ष जैसी कोई चाहत हो।

 

11. संकटमोचन हनुमान : दाएं घुटने के बल पर बैठे और आशिर्वाद देते हुए हनुमान जा चित्र आपने देखा ही होगा यह संकटमोचन हनुमान का चित्र है। इसे घर में दक्षिण दिशा में लगाने से किसी भी प्रकार का संकट द्वार पर नहीं फटकता है।



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