ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली के पहले, चौथे, सातवें, आठवें और बाहरवें भाव में मंगल आकर बैठे हों तो वह व्यक्ति मांगलिक कहलाता है। यदि आपकी कुंडली में मांगलिक दोष है, विवाह कार्य में कोई रुकावट आ रही या दांपत्य जीवन सुखमय नहीं व्यतीत हो रहा है तो आप मंगल ग्रह के मंदिर में उपरोक्त में से कोई सा भी अभिषेक कराकर इस समस्या से मुक्ति हो सकते हैं।
कुंडली में मंगल तीन प्रकार का माना गया है- सौम्य मंगल, मध्यम मंगल और कड़क मंगल। कुंडली में मंगल ग्रह किसी शुभ ग्रह के साथ या उस पर किसी शुभ ग्रह की दृष्टि पड़ रही है तो वह सौम्य मंगल कहलाता है। मंगल ग्रह के साथ कोई पापी ग्रह विराजमान हो या उस पर उन ग्रहों की दृष्टि हो तो वह कड़क मंगल कहलाता है। मंगल यदि शुभ ग्रहों के साथ बैठा और उस पर अशुभ ग्रहों की दृष्टि है या इसके विपरीत है तो वह मध्यम मंगल कहलाता है।
यदि आपका मंगल सौम्य है तो सामूहिक अभिषेक करा सकते हैं और यदि आपका मंगल मध्यम है तो आप स्वतंत्र या एकल अभिषेक करा सकते हैं, परंतु यदि आपका मंगल कड़क है तो आप हवनात्मक पूजा और अभिषेक कराएं।
हवनात्मक पूजा में हवन को अच्छे से सजाकर संपूर्ण सामग्री के साथ पूजा की जाती है जो करीब 2 से ढाई घंटे तक चलती है। इस पूजा की दक्षिणा देकर आप यह पूजा करवा सकते हैं। माना जाता है कि इससे कितना भी कड़क मंगल हो उसका निवारण हो जाता है।
यदि आप किसान, बिल्डर, प्रॉपर्टी ब्रोकर, खेतीहर मजदूर हैं, सब्जी या अनाज का व्यापार करते हैं, बगीचे के माली हैं, फूल या फलों का व्यापार करते हैं या सिविल इंजीनियर हैं तो आपके आराध्य देव मंगल देव हैं। उपरोक्त कार्यों में रुकावट आ रही है तो आप भी ये हवनात्मक पूजा करवा सकते हैं।
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