जीत और हार का गणित : आंकड़ों से पता चलता है कि राज्य की कुल 224 विधानसभा क्षेत्रों में से केवल 60 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं जहां एक ही पार्टी 2008 से जीतती रही है। इनमें से 27 कांग्रेस के पास, 23 भाजपा के पास और 10 जद (एस) के पास हैं। बाकी 84 से अधिक ऐसी सीटें हैं जिन्हें स्विंग या फ्लिप सीटें कहा जाता है, जहां पर थोड़े बहुत अंतर से गणित बदल जाता है या कि फिर वहां पर हर बार के चुनाव में विधायक बदल जाता है। बची 80 सींटों पर जातियां हावी हैं।
खासकर ऐसी सीटें 20 मध्य कर्नाटक में, 12 हैदराबाद-कर्नाटक क्षेत्र में और 14 दक्षिणी कर्नाटक में है। कई सीटें लिंगायत और तटीय क्षेत्रों में हैं। इतनी अधिक स्विंग सीटें हैं जो हर पांच साल के बाद किसी भी पार्टी के दोबारा नहीं चुने जाने का एक कारण है। यानी यहां पर विचारधारा नहीं स्थानीय मुद्दे, व्यक्तिगत हित और जोड़तोड़ का गणित कार्य करता है।
ज्योतिष विश्लेषण : हाल ही में सूर्य ने वृषभ राशि में गोचर किया है और उससे पूर्व मंगल ने कर्क राशि में गोचर किया था। 10 मई को मंगल ने कर्क राशि में गोचर करके परिस्थिति को बदला है क्योंकि कर्क राशि में मंगल नीच का होकर अच्छे फल नहीं देता है। यह देश और दुनिया में अराजकता और अशांति फैलाने का कार्य करता है। यह मंगल राजनीतिक दल में झगड़े या कलह का कारक भी होता है। इसी बीच पहले सूर्य ग्रहण हुआ और फिर चंद्र ग्रहण ने भी स्थिति परिस्थितियों को बदला है।
परंतु 17 जनवरी को शनि ने कुंभ राशि में और 22 अप्रैल को बृस्पति ग्रह ने जब मेष राशि में प्रवेश किया तो संपूर्ण देश दुनिया का राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव होना प्रारंभ हो गया। खासकर तब जब बृहस्पति ने मेष में प्रवेश किया जहां पर पहले से ही विराजमान राहु से मिलकर उसने गुरु चांडाल योग बनाया। इस योग ने सत्तापक्ष के लिए परेशानियां खड़ी की है, जो 30 अक्टूबर तक जारी रहेगी। सूर्य और राहु की युति से ग्रहण योग तथा गुरु और राहु की युति से गुरु चांडाल दोष का निर्माण हुआ जिसने परिस्थिति को बदला।
उपरोक्त योग से देश और दुनिया में अग्नि कांड, जनाक्रोश, जन आंदोलन, भूकंप, सुनामी, आतंकी घटना, ज्वालामुखी विस्फोट, आर्थिक संकट, बीमारी और युद्ध होने की आशंका बढ़ जाती है। हमने यह देखा भी है कि कई जगहों जनाक्रोश के चलते सत्तापक्ष को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है।
आने वाले समय में हो सकता है कि सरकार का कोई निर्णय जनता को भड़का दे और तब जनता सड़कों पर आंदोलन करने के लिए उतर जाए। कोई बड़ी आतंकी घटना भी हो सकती है या भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में उपद्रव की स्थिति बन सकती है। भारत और पाकिस्तान के बीच कोई बड़ा टकराव हो सकता है।
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