पापियों का सरताज शनि : लाल किताब में शनि को पापी ग्रहों का राजा कहा गया है। राहु और केतु उसके सेवक है। यदि यह तीनों ग्रह एक साथ या दो ग्रह एकसाथ हो जाए तो खतरनाक स्थिति बन जाती है। लाला किताब के अनुसार शनि की प्रेमिका है शुक्र ग्रह। शनि के साथ बुध मिलकर उसके जैसा होकर उसकी हां में हां मिलता रहता है। अर्थात् शनि, राहु, केतु, बुध और शुक्र हर शरारत और फसाद की जड़ बन सकते हैं।
दंडाधिकारी शनि : लाल किताब में शनि की एक दूसरी मान्यता भी है कि यह कलियुग का न्यायाधीश है और मनुष्य को उसके पाप और बुरे कार्यों के अनुसार दंडित करता है। लाल किताब के अनुसार दशम और एकादश भाव पा शनि के प्रभाव रहता है। शनि मकर और कुंभ दोनों राशियों का स्वामी है। कुंडली के प्रथम भाव पर मेष राशि का आधिपत्य है और इस राशि में शनि नीच का होता है। शुभ योग होने पर इस भाव का शनि व्यक्ति को मालामाल कर देता है, जबकि अशुभ योग होने पर बर्बाद करके रख देता है। सप्तम भाव में राहु और केतु के होने पर शनि और भी अशुभ फल देता है। यदि दशम या एकादश भाव में सूर्य हो तो, मंगल व शुक्र भी अशुभ फल देने लगते हैं। शनि जिस पर प्रसन्न हो जाए उसे निहाल कर दे और अगर क्रोधी हो जाये तो बर्बाद कर दे।
शनि की कारक वस्तुएं : काला रंग, काला धन, लोहा, मशीन, कारखाना, लोहे के औजार व सामान, तेज नज़र, जादू, मंत्र, जीव हत्या, खजूर, अलताश का वृक्ष, लकड़ी, छाल, ईंट, सीमेंट, पत्थर, सूती, गोमेद, नशीली वस्तु, मांस, बाल, मकान, खाल, तेल, पेट्रोल, स्पिरिट, शराब, चना, उड़द, बादाम, नारियल, जूता, जुराब, चोट, हादसा यह सब शनि से संबंधित है।
शनि से संबंधित जीव : मछली, भैंस, भैंसा, मगरमच्छ, सांप, कारीगर, मजदूर, चुनाई करने वाला जल्लाद, लोहार, मिस्त्री, डाकू, चीर फाड़ करने वाला डॉक्टर, चालाक, चाचा आदि। यह सेवा और नौकरी का कारक होता है।
शनि के शुभ होने की की निशानी :
- शनि की स्थिति यदि शुभ है तो व्यक्ति हर क्षेत्र में प्रगति करता है।
- शनि के शुभ होने पर व्यक्ति के जीवन में किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं होता।
- बाल और नाखून मजबूत होते हैं।
- ऐसा व्यक्ति न्यायप्रिय होता है और समाज में मान-सम्मान खूब रहता है।
- मकान और दलाली के कार्यों में सफलता मिलती है।
- व्यक्ति भूमि का मालिक होता है और धन संपन्न रहता है।
- यदि व्यक्ति लोहे से संबंधित कोई कार्य कर रहा है तो उसमें उसे अपार धन मिलता है।
शनि ग्रह के अशुभ होने के लक्षण
- शनि के अशुभ प्रभाव से विवादों की वजह से भवन बिक जाता है।
- मकान या भवन का हिस्सा गिर जाता है या क्षतिग्रस्त हो जाता है।
- अंगों के बाल तेजी से झड़ जाते हैं।
- घर या दुकान में अचानक आग लग सकती है।
- किसी भी प्रकार से धन और संपत्ति का नाश होने लगता है।
- मनुष्य पराई स्त्री से संबंध रखकर बर्बाद हो जाता है।
- जुआ-सट्टे की लत लगने से व्यक्ति कंगाल हो जाता है।
- कानूनी या आपराधिक मामले में जेल हो जाती है।
- शराब के अत्यधिक सेवन से व्यक्ति की सेहत खराब हो जाती है।
- किसी हादसे में व्यक्ति अपंग हो सकता है।
लाल किताब में शनि ग्रह से जुड़े टोटके व उपाय
- सर्वप्रथम भगवान भैरव की उपासना करें।
- शनि से बचने के लिए हनुमान जी की सेवा और प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए।
- तिल, उड़द, लोहा, भैंस, तेल, काले कपड़े, काली गाय और जूते भी दान में देना चाहिए।
- मांगने वाले को लोहे का चिमटा, तवा, अंगीठी दान में देना चाहिए।
- जातक मस्तक पर तेल की बजाय दूध या दही का तिलक लगाया करें तो अति लाभदायक होगा।
- काले कुत्ते को रोटी खिलाना, पालना और उसकी सेवा करने से लाभ होगा।
- मकान के अंत में अंधेरी कोठी शुभ होगी।
- मछलियों को दाना या चावल डालना लाभकारी होता है।
- चावल या बादाम बहते पानी में डालने से लाभ होगा।
- शराब, मांस और अंडे से सख्त परहेज करें।
- मशीनरी और शनि संबंधित अन्य वस्तुओं से लाभ होगा।
- प्रतिदिन कौअे को रोटी खिलाएं।
- दांत, नाक और कान सदैव साफ रखें।
- अंधे, दिव्यांग, सेवकों और सफाईकर्मियों से अच्छा व्यवहार करें।
- छाया पात्र दान करें यानि एक कटोरी या अन्य पात्र में सरसों का तेल लेकर अपना चेहरा देखकर शनि मंदिर में अपने पापों की क्षमा मांगते हुए रख आएं।
- भूरे रंग की भैंस रखना लाभकारी होगी।
- मजदूर, भैंस और मछली की सेवा से लाभ होगा।
सावधानी : कुंडली के प्रथम भाव यानी लग्न में हो तो भिखारी को तांबा या तांबे का सिक्का कभी दान न करें अन्यथा पुत्र को कष्ट होगा। यदि आयु भाव में स्थित हो तो धर्मशाला का निर्माण न कराएं। अष्टम भाव में हो तो मकान न बनाएं, न खरीदें। उपरोक्त उपाय भी लाल किताब के जानकार व्यक्ति से पूछकर ही करें।
शनि ग्रह का परिचय :-
- देवता- भैरव जी
- गोत्र- कश्यप
- जाति- क्षत्रिय
- रंग- श्याम नीला
- वाहन- भैंसा, गीद्ध
- दिशा- वायव्य
- वस्तु- लोहा, फौलाद
- पोशाक- जुराब, जूता
- पशु- भैंस या भैंसा
- वृक्ष- कीकर, आक, खजूर का वृक्ष
- राशि- बु.शु.रा.। सू, चं.मं.। बृह.
- भ्रमण- अढ़ाई वर्ष
- नक्षत्र- अनुराधा, पुष्य, उत्तरा, भाद्रपद
- शरीर के अंग- दृष्टि, बाल, भवें, कनपटी
- व्यापार- लुहार, तरखान, मोची
- विशेषता- मूर्ख, अक्खड़, कारीगर
- गुण- देखना, भालना, चालाकी, मौत, बीमारी
- शक्ति- जादू मंत्र देखने-दिखाने की शक्ति, मंगल के साथ हो तो सर्वाधिक बलशाली।
- राशि- मकर और कुंभ का स्वामी। तुला में उच्च का और मेष में नीच का माना गया है। ग्यारहवां भाव पक्का घर।
- अन्य नाम- यमाग्रज, छायात्मज, नीलकाय, क्रुर कुशांग, कपिलाक्ष, अकैसुबन, असितसौरी और पंगु इत्यादि।
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