1. सूर्य गोचर : सूर्य के राशि परिवर्तन को गोचर भी कहते हैं। गोचर यानी की भ्रमण। यह एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करके भ्रमण करता है।
2. सूर्य संक्रांति : सूर्य के राशि परिवर्तन को संक्रांति भी कहते हैं। वर्ष में 12 संक्रांतियां होती हैं।
3. खास संक्रांतियां : सूर्य की 12 संक्रांतियों में मेष, मकर, कर्क, मिथुन, धनु और मीन संक्रांति का खास महत्व होता है।
4. 30 दिन का गोचर : सूर्य प्रत्येक राशि में मुख्यत: 30 दिन तक रहते हैं। एक राशि 30 डिग्री की होती है। सूर्य धनु और मीन में जब रहता है तो धीमी चाल से चलता है। इसीलिए सूर्य कभी तो एक राशि को केवल 29 दिन में ही पार कर लेता है और कभी उसे 32 दिन भी लग जाते हैं।
5. सौर मास : सूर्य मेष, वृषभ, मिथुन आदि में क्रमश: ये भ्रमण करके पुन: मेष में आ जाते हैं। सूर्य के मेष में आने से सौरवर्ष का प्रथम मास प्रारंभ होता है।
6. उत्तरायण सूर्य : ऐसी मान्यता है कि सूर्य के मकर में जाने से वे उत्तरायण गमन करना प्रारंभ कर देते हैं परंतु ऐसा नहीं है। मकर संक्रांति से सूर्य अपनी उच्चावस्था में गमन करने लगते हैं। इस दिन से दिन बड़े होने लगते हैं।
कर्क में प्रवेश करता है तो दक्षिणगामी होता है। इसके बाद में दिन छोटे होने लगते हैं।
7. मौसम : सूर्य के राशि परिवर्तन से मौसम में भी बदलाव आता है।
8. गति और दूरी : राशियों में भ्रमण के कारण सूर्य की गति और दूरी का भी अनुमान लगता है। जैसे मकर संक्रांति के आसपास सूर्य धरती के सबे नजदीक होता है जबकि कर्क राशि के आसपास सूर्य धरती के सबसे दूर होता है। धनु और मीन में सूर्य मध्यम गति से चलता हुआ नजर आता है।
9. दिन और रात होते हैं तय : 21 मार्च (बसंत विषुव) को सूर्य भूमध्य रेखा पर लम्बवत चमकता है और सम्पूर्ण विश्व में रात-दिन बराबर होते हैं। 21 जून (ग्रीष्म संक्रांति) को कर्क रेखा पर लम्बवत होता है। 23 सितम्बर (शरद विषुव) को पुनः सूर्य भूमध्य रेखा पर लम्बवत् होता है और सर्वत्र दिन-रात बराबर होते हैं। इस समय उत्तरी गोलार्द्ध में पतझड़ ऋतु होती है। सितम्बर से सूर्य दक्षिणायन होने लगता है और 22 दिसम्बर (शीत संक्रांति) को मकर रेखा पर लम्बवत् होता है।
10. राशियों पर प्रभाव : सूर्य का राशि परिवर्तन हर राशि पर शुभ या अशुभ प्रभाव डालता है।
11. उच्च नीच राशि : सूर्य मकर में उच्च का और कर्म में नीच का होता है। सिंह राशि इसकी स्वयं की राशि है।
12. सूर्य परिक्रमा : जिस प्रकार पृथ्वी और अन्य ग्रह सूरज की परिक्रमा करते हैं उसी प्रकार सूरज भी आकाश गंगा के केन्द्र की परिक्रमा करता है। सूर्य की परिक्रमा के दौरान वह हमें राशियों में भ्रमण करता हुआ भी नजर आता है।
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