मगल गर वरत 2023 : शभ महरत म परवत क मतर पज वध और कथ - FULLSKY NEWS

FULLSKY NEWS - India's most trusted Autobloging Blogspot For Latest Breaking News And Headlines

Breaking

Thursday, June 29, 2023

मगल गर वरत 2023 : शभ महरत म परवत क मतर पज वध और कथ

mangala gauri vrat 2023
 

mangala gauri vrat 2023 : 4 जुलाई 2023, दिन मंगलवार से भगवान भोलेनाथ का सबसे प्रिय मास सावन/श्रावण शुरू हो रहा है। और इन दिनों शिव जी आराधना की जाएगी। इस बार सावन का महीना मंगलवार को शुरू होने के कारण इसी दिन माता पार्वती का खास पहला मंगला गौरी व्रत भी रखा जाएगा। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार सावन माह के प्रत्येक मंगलवार को देवी मंगला गौरी की आराधना की जाती है। सुहागिन महिलाएं इस व्रत को अपने पति तथा बच्चों का भाग्य संवारने तथा वैवाहिक जीवन को सुखी बनाने के उद्देश्य से यह व्रत रखती है।

 

बता दें कि वर्ष 2023 पहला मंगला गौरी व्रत 4 जुलाई के दिन पड़ रहा है। इस वर्ष सावन में मंगला गौरी व्रत का दुर्लभ संयोग बन रहा है, जिसमें कुल 9 मंगलवार पड़ने के कारण इस बार नौ मंगला गौरी व्रत रखें जाएंगे। आपको बता दें कि इस साल सावन में अधिक मास होने के कारण श्रावण 2 महीने का होगा और इसमें 8 सावन सोमवार के व्रत रखे जाएंगे। 

 

यहां पढ़ें मां मंगला गौरी व्रत के मुहूर्त, मंत्र, व्रत कथा और पूजन की विधि-Mangala Gauri Vrat 2023 

 

मंगला गौरी व्रत 2023 के शुभ मुहूर्त

इन्द्र योग- 11:50 ए एम तक

अभिजित मुहूर्त- 11:58 ए एम से 12:53 पी एम

अमृत काल- 12:00 पी एम से 05 जुलाई 01:24 ए एम तक।  

 

मां पार्वती के मंत्र : Mangala Gauri Mantra 

 

- ॐ गौरये नम:।

 

- उमामहेश्वराभ्यां नम:। 

 

- ॐ शिवाये नम:।

 

- ॐ उमाये नम:।

 

- ॐ पार्वत्यै नम:।

 

- ॐ जगद्धात्रयै नम:।

 

- ह्रीं मंगले गौरि विवाहबाधां नाशय स्वाहा।

 

- अस्य स्वयंवरकलामंत्रस्य ब्रम्हा ऋषि, अतिजगति छन्द:, देवीगिरिपुत्रीस्वयंवरादेवतात्मनो अभीष्ट सिद्धये।

 

- गण गौरी शंकरार्धांगि यथा त्वं शंकर प्रिया। मां कुरु कल्याणी कांत कांता सुदुर्लभाम्।।

 

- नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नम:। नम: प्रकृत्यै भद्रायै नियता:प्रणता:स्म ताम्।। श्रीगणेशाम्बिकाभ्यां नम:, ध्यानं समर्पयामि। 

 

पूजा विधि : mangala gauri puja vidhi 

 

- श्रावण मास के हर मंगलवार को ब्रह्म मुहूर्त में जल्दी उठें।

 

- नित्य कर्मों से निवृत्त होकर साफ-सुथरे या नवीन वस्त्र धारण कर व्रत करें।

- मां मंगला गौरी (पार्वती जी) का एक चित्र अथवा प्रतिमा लें।

 

- मंत्र- 'मम पुत्रापौत्रासौभाग्यवृद्धये श्रीमंगलागौरीप्रीत्यर्थं पंचवर्षपर्यन्तं मंगलागौरीव्रतमहं करिष्ये।' 

इस मंत्र के साथ व्रत करने का संकल्प लें।

अर्थात्- ऐसा माना जाता है कि मैं अपने पति, पुत्र-पौत्रों, उनकी सौभाग्य वृद्धि एवं मंगला गौरी की कृपा प्राप्ति के लिए इस व्रत को करने का संकल्प लेती हूं।

 

- अब मंगला गौरी के चित्र या प्रतिमा को एक चौकी पर सफेद फिर लाल वस्त्र बिछाकर स्थापित करें।

- फिर प्रतिमा के सामने आटे से बनाया हुआ एक घी का दीपक जलाएं। 

- दीपक थोड़ा बड़ा हो, जिसमें 16 बत्तियां लगाई जा सकें।

 

- तत्पश्चात- 'कुंकुमागुरुलिप्तांगा सर्वाभरणभूषिताम्। नीलकण्ठप्रियां गौरीं वन्देहं मंगलाह्वयाम्...।।' 

यह मंत्र बोलते हुए माता मंगला गौरी का षोडशोपचार पूजन करें।

 

- माता के पूजन के पश्चात उनको जो सामग्री चढ़ाई जाती हैं, वे सभी वस्तुएं 16 की संख्या में होनी चाहिए। जैसे- 16 मालाएं, लौंग, सुपारी, इलायची, फल, पान, लड्डू, सुहाग की सामग्री, 16 चूड़ियां तथा मिठाई अर्पण करें।

 

- इसके अलावा 5 प्रकार के सूखे मेवे, 7 प्रकार के अनाज-धान्य (जिसमें गेहूं, उड़द, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर) आदि चढ़ाएं।

 

- इस व्रत में एक ही समय अन्न ग्रहण करके पूरे दिन मां पार्वती की आराधना करना चाहिए। 

 

- पूजन के बाद मंगला गौरी की आरती करें, कथा सुनें। 

 

- 'ॐ शिवाये नम:।' 'ॐ गौरये नम:।' 'ॐ उमाये नम:।' 'ॐ पार्वत्यै नम:।' मंत्रों का अधिक से अधिक जाप करें। 

 

माता पार्वती को प्रसन्न करने वाला यह सरल व्रत करने वालों को अखंड सुहाग तथा पुत्र प्राप्ति का वर प्राप्त होता है। 

 

मंगला गौरी व्रत कथा- Mangala Gauri Vrat Katha 

 

इस व्रत की पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय की बात है एक शहर में धरमपाल नाम का एक व्यापारी रहता था। उसकी पत्नी काफी खूबसूरत थी और उसके पास काफी संपत्ति थी। लेकिन उनके कोई संतान नहीं होने के कारण वे काफी दुखी रहा करते थे। ईश्वर की कृपा से उनको एक पुत्र की प्राप्ति हुई लेकिन वह अल्पायु था। 

 

उसे यह श्राप मिला था कि 16 वर्ष की उम्र में सांप के काटने से उसकी मौत हो जाएगी। संयोग से उसकी शादी 16 वर्ष से पहले ही एक युवती से हुई जिसकी माता मंगला गौरी व्रत किया करती थी। परिणामस्वरूप उसने अपनी पुत्री के लिए एक ऐसे सुखी जीवन का आशीर्वाद प्राप्त किया था, जिसके कारण वह कभी विधवा नहीं हो सकती थी। अत: अपनी माता के इसी व्रत के प्रताप से धरमपाल की बहु को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति हुई। 

 

इस वजह से धरमपाल के पुत्र ने 100 साल की लंबी आयु प्राप्त की। तभी से ही मंगला गौरी व्रत की शुरुआत मानी गई है। इस कारण से सभी नवविवाहित महिलाएं इस पूजा को करती हैं तथा गौरी व्रत का पालन करती हैं और अपने लिए एक लंबी, सुखी तथा स्थायी वैवाहिक जीवन की कामना करती हैं। 

 

जो महिला उपवास का पालन नहीं कर सकतीं, वे भी कम से कम पूजा तो करती ही हैं। इस कथा को सुनने के बाद विवाहित महिला अपनी सास तथा ननद को 16 लड्डू देती है। इसके बाद वे यही प्रसाद ब्राह्मण को भी देती है। इस विधि को पूरा करने के बाद व्रती 16 बाती वाले दीये से देवी की आरती करती है। व्रत के दूसरे दिन बुधवार को देवी मंगला गौरी की प्रतिमा को नदी या पोखर में विसर्जित कर दी जाती है। 

 

अंत में मां गौरी के सामने हाथ जोड़कर अपने समस्त अपराधों के लिए एवं पूजा में हुई भूल-चूक के लिए क्षमा मांगना चाहिए। इस व्रत और पूजा को परिवार की खुशी के लिए लगातार 5 वर्षों तक किया जाता है। अत: शास्त्रों के अनुसार यह मंगला गौरी व्रत नियमों के अनुसार करने से प्रत्येक मनुष्य के वैवाहिक सुख में बढ़ोतरी होकर पुत्र-पौत्रादि भी अपना जीवन सुखपूर्वक गुजारते हैं, ऐसी इस व्रत की खास महिमा है। 

अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। इनसे संबंधित किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।


mangala gauri vrat katha

ALSO READ: Raksha Bandhan 2023: इस साल कब है रक्षाबंधन पर्व, जानें तिथि और राखी बांधने का शुभ मुहूर्त

ALSO READ: महाकाल की सवारी उज्जैन में क्यों निकलती है, जानिए इतिहास और इस बार क्यों है खास

 




from ज्योतिष https://ift.tt/E46a9Vj
via IFTTT

No comments:

Post a Comment

Post Bottom Ad

Pages