पहला उपाय : इस दिन गंगा में स्नान करने के बाद पितरों के निमित्त तर्पण करने से पितृ दोष दूर होता है, पितरों को मुक्ति मिलती है और वे आशीर्वाद देते हैं। धरती मां का वंदन करें। सिर झुकाकर मां धरती से अपने कर्मों की क्षमा मांगें।
दूसरा उपाय : इस दिन बिना नमक खाएं उपवास करने से सभी तरह की परेशानी दूर हो जाती है। यदि नमक खान ही हो तो सूर्यास्त के बाद खाएं। बहते जल में नारियल प्रवाहित करें।
तीसरा उपाय : किसी गरीब को गुड़, घी और गेहूं का दान देने से नौकरी और व्यापार में लाभ होता है। इस दिन पालक, मूंग और हरे रंग के वस्त्रों का दान करना अत्यंत शुभ फलदायी होता है। पितरों के निमित्त दान करें।
चौथा उपाय : सूर्य को जल दें। इस दिन सुबह स्नान से निवृत्त होकर सूर्य को अर्घ्य देने से सेहत अच्छी रहती है। सूर्य देव की पूजा और आरती करने से मान-सम्मान, धन और उच्च पद प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है।
पांचवां उपाय : मिथुन संक्रांति पर प्रदोष व्रत होने से भगवान शिव का पूजन करें। सूर्य, भगवान विष्णु, धरती मां और पीपल के पेड़ का पूजन भी करें। सूर्य के नाम, आदित्य ह्रदय स्तोत्र, चालीसा, स्तोत्र, आरती, मंत्र और स्तुति परिवर्तन के समय पढ़ें। लाल और पीले फूल श्रीकृष्ण को चढ़ाएं।
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