1. नीम का पेड़ :-
- मंगल की दिशा दक्षिण मानी गई है।
- नीम का पेड़ मंगल की स्थिति तय करता है कि मंगल शुभ असर देगा या नहीं।
- अत: दक्षिण दिशा में नीम का एक बड़ा सा वृक्ष जरूर होना चाहिए।
- यदि दक्षिणमुखी मकान के सामने द्वार से दोगुनी दूरी पर स्थित नीम का हराभरा वृक्ष है या मकान से दोगना बड़ा कोई दूसरा मकान है तो दक्षिण दिशा का असर कुछ हद तक समाप्त हो जाएगा।
2. पंचमुखी हनुमान :-
- द्वार के ऊपर पंचमुखी हनुमानजी का चित्र भी लगाना चाहिए।
- द्वार के ठीक सामने आशीर्वाद मुद्रा में हनुमान जी की मूर्ति अथवा तस्वीर लगाने से भी दक्षिण दिशा की ओर मुख्य द्वार का वास्तुदोष दूर होता है।
3. आदमकद दर्पण :-
- द्वार के ठीक सामने एक आदमकद दर्पण इस प्रकार लगाएं जिससे घर में प्रवेश करने वाले व्यक्ति का पूरा प्रतिबिंब दर्पण में बने।
- इससे घर में प्रवेश करने वाले व्यक्ति के साथ घर में प्रवेश करने वाली नकारात्मक उर्जा पलटकर वापस चली जाती है।
4. बदलाव :-
दक्षिण दिशा में मुख्य द्वारा या खिड़की है तो उस द्वारा या खिड़की को बदलकर पश्चिम, उत्तर, वायव्य, ईशान या पूर्व दिशा में लगाने से भी दक्षिण के बुरे प्रभाव बंद हो जाते हैं।
5. पिरामिठ :-
मुख्य द्वार के ऊपर पंचधातु का पिरामिड लगवाने से भी वास्तुदोष समाप्त होता है।
6. गणेश मूर्ति :-
- गणेशजी की पत्थर की दो मूर्ति बनवाएं जिनकी पीठ आपस में जुड़ी हो।
- इस जुड़ी गणेश प्रतिमा को मुख्य द्वार के बीचों-बीच चौखट पर फिक्स कर दें।
- ऐसे फिक्स करें कि एक गणेशजी अंदर को देखें और एक बाहर को। इससे गृहक्लेश से मुक्ति मिलेगी।
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