Astrology Daily Timing : हमारे ज्योतिष शास्त्र में काल गणना का विशेष महत्व होता है। शास्त्रानुसार सभी कर्मकांड एक विशेष मुहूर्त में संपन्न किए जाते हैं। अत: श्रद्धालुगणों को काल गणना की सामान्य जानकारी होना आवश्यक है। बिना श्रेष्ठ मुहूर्त के किया गया कार्य निष्फल होता है।
हमारे शास्त्रों में प्रत्येक कार्य के लिए एक विशेष समय जिसे मुहूर्त कहा जाता है; नियत है। हम यहां 'वेबदुनिया' के पाठकों को दैनिक काल व मुहूर्त के संबंध में कुछ आवश्यक बातों की जानकारी से अवगत कराने जा रहे हैं।
एक दिन की गणना-
- हिन्दू पंचांग के अनुसार एक अहोरात्र सूर्योदय से सूर्योदय तक माना जाता है। इसमें 15 मुहूर्त का दिन और 15 मुहूर्त की रात्रि होती है।
- एक मुहूर्त दो घटी अर्थात् 48 मिनट का होता है।
- प्रतिदिन सूर्योदय से 03 मुहूर्त अर्थात 02 घंटे 24 मि. का प्रात:काल, तत्पश्चात् 03 मुहूर्त का संगवकाल, अगले 03 तीन मुहूर्त का अपराह्न काल, उसके बाद 03 मुहूर्त का मध्याह्न काल और अंत के 03 मुहूर्त का सायंकाल होता है।
- शास्त्रानुसार पूर्वाह्न (प्रात:काल+संगवकाल) देवताओं का, अपराह्न काल पितरों का, मध्याह्न काल मनुष्यों का एवं सायंकाल राक्षसों का होता है। अत: इसी समयानुसार विशेष मुहूर्त की अवधि में श्रद्धालुओं के लिए पूजा-पाठ एवं दान इत्यादि करना श्रेयस्कर रहता है।
ज्योतिर्विद् पं.हेमन्त रिछारिया
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केन्द्र
सम्पर्क: astropoint_hbd@yahoo.com
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