Sarvapitri amavasya : सर्वपितृ अमावस्या के दिन किस स्थान पर श्राद्ध करना है सबसे श्रेष्ठ? - FULLSKY NEWS

FULLSKY NEWS - India's most trusted Autobloging Blogspot For Latest Breaking News And Headlines

Breaking

Thursday, October 12, 2023

Sarvapitri amavasya : सर्वपितृ अमावस्या के दिन किस स्थान पर श्राद्ध करना है सबसे श्रेष्ठ?

पितरों के निमित्त श्राद्ध पक्ष में जिस तरह कुतुप काल मुहूर्त का महत्व है उसी तरह श्राद्ध करने के स्थान का भी खास महत्व मानाया गया है। यदि उचित स्थान पर श्राद्ध नहीं किया जाए तो श्राद्ध स्वीकार नहीं होता है। तर्पण और पिंडदान का स्थान श्रेष्ठ होना जरूरी है। अत: जानिए कि किस स्थान पर करना चाहिए श्राद्ध कर्म और कौनसा स्थान होता है सर्वश्रेष्ठ।

 

सर्वश्रेद्ध : गया और ब्रह्मकपाल

 

किस स्थान पर करें श्राद्ध:-

  • श्राद्ध आप अपने घर में भी कर सकते हैं। दक्षिण में मुख करके श्राद्ध किया जाता है।
  • किसी पवित्र नदी, नदी संगम या समुद्र में गिरने वाली नदियों के तट पर उचित समय में विधि-विधान से श्राद्ध किया जा सकता है।
  • तीर्थ क्षेत्र या पवित्र वट-वृक्ष के नीचे भी श्राक द्ध कर्म किया जा सकता है।
  • समुद्र के तट पर भी श्राद्ध किया जा सकता है।
  • जहां बैल न हों ऐसी गौशाला में भी उचित स्थान को गोबर से लिपकर शुद्ध करके श्राद्ध किया जा सकता है।
  • पवित्र पर्वत शिखर पर भी श्राद्ध किया जा सकता है। वनों में, स्वच्छ और मनोहर भूमि पर भी विधिपूर्वक श्राद्ध किया जा सकता है।
  • दूसरों की भूमि और अपवित्र भूमि पर श्राद्ध नहीं करते हैं। भूमि स्वयं की हो या सार्वजनिक होना चाहिए। अगर दूसरे के गृह या भूमि पर श्राद्ध करना पड़े तो किराया भूस्वामी को दे देना चाहिए।

श्राद्ध करने वाले सर्वश्रेष्ठ स्थान:-

1. उज्जैन (मध्यप्रदेश) : उज्जैन में क्षिप्रा नदी केतट पर स्थित सिद्धवट पर श्राद्ध कर्म के कार्य किए जाते हैं।

 

2. लोहानगर (राजस्थान) : इसे लोहार्गल कहते हैं। यहां पांडवों ने अपने पितरों के लिए सुरजकुंड में मुक्ति का कार्य किया था। यहां खासकर अस्थि विसर्जन होता है। यहां तीन पर्वत से निकलने वाली सात धाराएं हैं।

 

3. प्रयाग (उत्तर प्रदेश) : त्रिवेणी संगम पर गंगा नदी के तट पर मुक्ति कर्म किया जाता है।

 

4. हरिद्वार (उत्तराखंड) : यहां हर की पौड़ी पर सप्त गंगा, त्रि गंगा और शकावर्त में मुक्ति कर्म किया जाता है। 

 

5. पिण्डारक (गुजरात) : पिंडारक प्राभाष क्षेत्र में द्वारिका के पास एक तीर्थ स्थान है। यहां पितृ पिंड सरोवर है। 

 

6. नाशिक (महाराष्ट्र) : यहां गोदावरी नदी के तट पर मुक्ति कर्म किया जाता है। 

 

7. गया (बिहार) : गया में फल्गु नदी के तट पर मुक्ति कर्म किया जाता है। 

 

8. मेघंकर (महाराष्ट्र) : यहां पैनगंगा नदी के तट पर मुक्ति कर्म किया जाता है। 

 

9. लक्ष्मण बाण (कर्नाटक) : यह स्थान रामायण काल से जुड़ा हुआ है। लक्ष्मण मंदिर के पीछे लक्ष्मण कुंड है जहां पर मुक्ति कर्म किया जाता है। ऐसा भी माना जाता है कि यहां पर श्रीराम ने अपने पिता का श्राद्ध किया था।

 

11. पुष्कर (राजस्थान) : यहां पर बहुत ही प्राचीन झील है जिसके किनारे मुक्ति कर्म किया जाता है। 

 

12. काशी (उत्तर प्रदेश) : काशी को मोक्ष नगरी कहा जाता है। चेतगंज थाने के पास पिशाच मोचन कुंड है जहां पर त्रिपिंडी श्राद्ध करने से पितरों को प्रेत बाधा और अकाल मृत्यु से मरने के बाद अन्य तरह की व्याधियों से भी मुक्ति मिल जाती है।

 

13. ब्रह्मकपाल (उत्तराखंड) : कहते हैं जिन पितरों को गया में मुक्ति नहीं मिलती या अन्य किसी और स्थान पर मुक्ति नहीं मिलती उनका यहां पर श्राद्ध करने से मुक्ति मिल जाती है। यह स्थान बद्रीनाथ धाम के पास अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है।

 

पुराणों अनुसार ब्रह्मज्ञान, गया श्राद्ध, गोशाला में मृत्यु तथा कुरुक्षेत्र में निवास- ये चारों मुक्ति के साधन हैं- गया में श्राद्ध करने से ब्रह्महत्या, सुरापान, स्वर्ण की चोरी, गुरुपत्नीगमन और उक्त संसर्ग-जनित सभी महापातक नष्ट हो जाते हैं। अंतिम श्राद्ध ब्रह्मकपाल में होता है।



from ज्योतिष https://ift.tt/gqvwXoe
via IFTTT

No comments:

Post a Comment

Post Bottom Ad

Pages