पौष माह की अमावस्या : पूर्णिमा के दिन चंद्र पूर्ण होता है और अमावस्या के दिन चंद्र लुप्त रहता है। अमावस्या (अमावस) के देवता हैं अर्यमा जो पितरों के प्रमुख हैं। अमावस्या में पितृगणों की पूजा करने से वे सदैव प्रसन्न होकर प्रजावृद्धि, धन-रक्षा, आयु तथा बल-शक्ति प्रदान करते हैं। यह बलप्रदायक तिथि हैं। इस दिन किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए। इस दिन शराब आदि नशे से भी दूर रहना चाहिए। इसके शरीर पर ही नहीं, आपके भविष्य पर भी दुष्परिणाम हो सकते हैं।
कब है पौष मास की अमावस्या :-
अमावस्या आरम्भ : 30 दिसंबर 2024 को 04:03:47 से।
अमावस्या समाप्त : 31 दिसंबर 2024 को 03:58:36 पर।
पौष अमावस्या का उपाय Paush amavasya ke upay:-
तर्पण: पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पौष अमावस्या के दिन पूर्वजों के निमित्त तर्पण, पिंडदान, नदी स्नान व अर्घ्य तथा दान-पुण्य के कार्य अवश्य करें। इससे पितृ दोष दूर होगा और सभी अटके कार्य पूर्ण होंगे। अमावस्या के दिन दान करने से पितरों को मोक्ष मिलता है। अत: इस दिन पितरों के निमित्त दान करना ना भूलें। अत: इस दिन पवित्र नदी, जलाशय या कुंड आदि में स्नान करें। इसके बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें और अंत में पितरों का तर्पण करें।
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