Vinayak Chaturthi 2023: विनायक चतुर्थी आज, जानें पूजन के मुहूर्त, कथा, मंत्र और विधि - FULLSKY NEWS

FULLSKY NEWS - India's most trusted Autobloging Blogspot For Latest Breaking News And Headlines

Breaking

Saturday, December 16, 2023

Vinayak Chaturthi 2023: विनायक चतुर्थी आज, जानें पूजन के मुहूर्त, कथा, मंत्र और विधि

 

Vinayak Chaturthi : आज वर्ष 2023 की अंतिम चतुर्थी यानी शुक्ल पक्ष की विनायक चतुर्थी मनाई जा रही है। इस बार अगहन महीने के शुक्ल पक्ष की यह चतुर्थी भगवान श्री गणेश को समर्पित होने से बहुत खास मानी गई है। पौराणिक शास्त्रों में वर्षभर की सभी शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को पड़ने वाली विनायक चतुर्थी का विशेष महत्व बताया गया है। आइए जानते हैं इस चतुर्थी के पूजन विधि के बारे में- 

 

आइए यहां जानते हैं शुभ समय, कथा, मंत्र और पूजा विधि- 

 

विनायक चतुर्थी पूजन समय-Vinayak Chaturthi Muhurat 2023
 

16 दिसंबर 2023, शनिवार को विनायक चतुर्थी

मार्गशीर्ष शुक्ल चतुर्थी का प्रारंभ- 15 दिसंबर को 02:00 पी एम से, 

समापन- 16 दिसंबर को 11:30 ए एम पर। 

चतुर्थी पूजन समय- 10:08 ए एम से 11:30 ए एम

पूजन की कुल अवधि- 01 घंटा 21 मिनट्स

 

पूजा विधि-Puja Vidhi

 

- विनायक चतुर्थी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य कर्म से निवृत्त होकर स्नान करके लाल वस्त्र धारण करें।

- पूजन के समय अपने सामर्थ्यनुसार सोने, चांदी, पीतल, तांबा, मिट्टी अथवा सोने या चांदी से निर्मित शिव-गणेश प्रतिमा स्थापित करें। 

- संकल्प के बाद विघ्नहर्ता श्री गणेश का पूरे मनोभाव से पूजन करें।

- फिर अबीर, गुलाल, चंदन, सिंदूर, इत्र चावल आदि चढ़ाएं। 

- 'ॐ गं गणपतयै नम: मंत्र बोलते हुए 21 दूर्वा दल चढ़ाएं। 

- अब श्री गणेश को मोदक का भोग लगाएं। 

- इस दिन मध्याह्न में गणपति पूजा में 21 मोदक अर्पण करते हुए, प्रार्थना के लिए निम्न श्लोक पढ़ें- 'विघ्नानि नाशमायान्तु सर्वाणि सुरनायक। कार्यं मे सिद्धिमायातु पूजिते त्वयि धातरि।'

- पूजन के समय आरती करें। 

- गणेश चतुर्थी कथा का पाठ करें। 

- अपनी शक्तिनुसार उपवास करें।

- इस दिन भगवान श्री गणेश के मंत्रों का अधिक से अधिक जाप करें। 

मंत्र- 'श्री गणेशाय नम:' , 'ॐ गं गणपतये नम:', एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।। 

- अथर्वशीर्ष, संकटनाशक गणेश स्त्रोत, गणेश स्तुति, श्री गणेश सहस्रनामावली, गणेश चालीसा, गणेश पुराण, श्री गणेश स्तोत्र आदि का पाठ करें। 

 

कथा-Ganesh Katha

 

एक दिन भगवान भोलेनाथ स्नान करने के लिए कैलाश पर्वत से भोगवती गए। महादेव के प्रस्थान करने के बाद मां पार्वती ने स्नान प्रारंभ किया और घर में स्नान करते हुए अपने मैल से एक पुतला बनाकर और उस पुतले में जान डालकर उसको सजीव किया गया। पुतले में जान आने के बाद देवी पार्वती ने पुतले का नाम 'गणेश' रखा और बालक गणेश को स्नान करते जाते वक्त मुख्य द्वार पर पहरा देने के लिए कहा। माता पार्वती ने कहा कि जब तक मैं स्नान करके न आ जाऊं, किसी को भी अंदर नहीं आने देना।

 

भोगवती में स्नान कर जब भोलेनाथ अंदर आने लगे तो बालस्वरूप गणेश ने उनको द्वार पर ही रोक दिया। भगवान शिव के लाख कोशिश के बाद भी गणेश ने उनको अंदर नहीं जाने दिया। गणेश द्वारा रोकने को उन्होंने अपना अपमान समझा और बालक गणेश का सिर धड़ से अलग कर वे घर के अंदर चले गए। शिव जी जब घर के अंदर गए तो वे बहुत क्रोधित अवस्था में थे। ऐसे में देवी पार्वती ने सोचा कि भोजन में देरी की वजह से वे नाराज हैं, इसलिए उन्होंने दो थालियों में भोजन परोस कर उनसे भोजन करने का निवेदन किया।

 

भोजन की दो थालियां लगीं देखकर शिव जी ने पूछा- दूसरी थाली किसके लिए है? तब पार्वती जी ने जवाब दिया कि दूसरी थाली पुत्र श्री गणेश के लिए है, जो द्वार पर पहरा दे रहा है। तब भगवान शिव ने देवी पार्वती से कहा कि उसका सिर मैंने क्रोधित होने की वजह से धड़ से अलग कर दिया है। इतना सुनकर पार्वती जी दु:खी हो गईं और विलाप करने लगीं। उन्होंने भोलेनाथ से पुत्र गणेश का सिर जोड़ कर जीवित करने का आग्रह किया। तब महादेव ने एक हाथी के बच्चे का सिर धड़ से काट कर गणेश के धड़ से जोड़ दिया। अपने पुत्र को फिर से जीवित पाकर माता पार्वती अत्यंत प्रसन्न हुईं। 

 

अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। इनसे संबंधित किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

ALSO READ: होली कब है 2024 में?

ALSO READ: जनवरी माह 2024 के व्रत त्योहार और महत्वपूर्ण दिवस




from ज्योतिष https://ift.tt/maxCu6Z
via IFTTT

No comments:

Post a Comment

Post Bottom Ad

Pages