इंदौर में ज्योतिष वास्तु पर राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी, गंभीर विषयों पर हुआ चिंतन - FULLSKY NEWS

FULLSKY NEWS - India's most trusted Autobloging Blogspot For Latest Breaking News And Headlines

Breaking

Monday, January 8, 2024

इंदौर में ज्योतिष वास्तु पर राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी, गंभीर विषयों पर हुआ चिंतन

  • सर्द हवाओं के बीच इंदौर के संस्कृत कॉलेज में सैकड़ों ज्योतिष और वास्तुविदों का जमावड़ा
  • वेद ऋचा, मानस की चौपाई और संस्कृत श्लोक से माहौल बना सात्विक और आनंदमय
  • विभिन्न यूनिवर्सिटी के प्राध्यापक स्कॉलर ने रिसर्च पेपर में गंभीर विषयों पर किया चिंतन

National Research Seminar on Astrology Vastu in Indore : संस्कृत हमारी पुरातन भाषा इसका संरक्षण करें और ज्ञानवर्धन में सहायक बनाएं। इसी प्रकार भारतीय पद्धति से गणितीय काल गणना आसान है। हमारी विधाओं को हम पहचानें और इस पर काम करें। संस्कृत, विदेशों में भी पढ़ाई जाने लगी है। विदेशों के कई विश्वविद्यालय संस्कृत को महत्व देते हैं। वैज्ञानिक अपनी खोज में संस्कृत का प्रयोग निरंतर कर रहे हैं। इसी प्रकार ज्योतिष और वास्तु हमारे प्राचीनतम कई ग्रंथ लिखे गए हैं जिसमें भ्रांतियां नहीं हैं न ही संशय है। यह मार्गदर्शन के रूप में हमारे जीवन को श्रेष्ठतम अवसर प्रदान करने में सहायक है।

 

संस्कृत महाविद्यालय में राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी : ये विचार रविवार को संस्कृत कॉलेज में अतिथियों द्वारा व्यक्त किए गए। शासकीय संस्कृत महाविद्यालय इंदौर में ज्योतिष एवं वास्तु विषय पर आधारित एक दिवसीय राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी रविवार सर्द हवाओं के बीच शुरू हुई। इसमें देशभर के विभिन्न विश्वविद्यालयों के प्राध्यापक, शोधार्थी तथा ज्योतिष-वास्तु के विद्वानों ने समसामयिक विषयों पर अपने शोधपत्र प्रस्तुत किए। सुबह से शाम तक वेद ऋचाओं की सूक्तियां, संस्कृत, मानस की चौपाइयों से माहौल गुंजायमान रहा।

 

संगोष्ठी के संयोजक पं. योगेन्द्र महंत, समन्वयक डॉ. अभिषेक पांडेय तथा आचार्य गोपालदास बैरागी

 ने बताया कि इंदौर के तपस्वी संतों के सान्निध्य में आयोजन शुरू किया गया। मुख्य वक्ता महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान के चेयरमैन भरत बैरागी (कैबिनेट मंत्री दर्जा) तथा विक्रम विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के अध्यक्ष आचार्य राजेश्वर शास्त्री मुसलगांवकर थे। अध्यक्षता महर्षि पाणिनी संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विजय मेनन ने की।

 

ज्योतिष के भ्रम को दूर किया : विशेष अतिथि मुख्य अतिथि विधायक उषा ठाकुर, प्राचार्य डॉ. तृप्ति जोशी थीं। 

समापन सत्र के अतिथि महामंडलेश्वर रामगोपाल दासजी महाराज, संगोष्ठी निदेशक डॉ. विनायक पाण्डेय, रामचंद्र शर्मा वैदिक, कृपाराम उपाध्याय (भोपाल), संतोष भार्गव, डॉ. चंद्रभूषण व्यास, कार्तिकजी आदि ने महत्वपूर्ण जानकारी दी और जिज्ञासाओं को शांत किया और ज्योतिष के भ्रम को दूर किया।

 

अतिथि स्वागत डॉ. विमला गोयल, प्रो वंदना नाफेड, डॉ. उषा गोलाने, डॉ. मीनाक्षी नागराज, डॉ. उमाशंकर पुरोहित, डॉ. अनामिका चतुर्वेदी, डॉ. छवि खरे, योगेंद्र वर्मा, टीकाराम टाकले, राजेश शास्त्री, विनीत त्रिवेदी, राहुल कृष्ण शास्त्री, गिरीश व्यास, प्रियंका चौबे, अपूर्व पौराणिक, जितेंद्र जोशी, अंकित दुबे, नारायण वैष्णव, आर्यन शर्मा, जुगल बैरागी, तन्मय भट्ट, राजकुमार आचार्य, कपिल शर्मा, विपुल गांवशिंदे, अभिषेक बैरागी, दीपक खरते, सुनील बैरागी आदि ने किया।
 

एक देश... एक तिथि... एक दिन हो... पं योगेंद्र महंत : पं. योगेंद्र महंत ने कहा कि भारत सनातन संस्कृति का देश है। हमारे यहां अक्सर ऐसी स्थिति निर्मित होती है जिससे लोग भ्रम की स्थिति मे आ जाते हैं। आज आवश्यकता है पंचांग और कैलेंडर की जानकारी को एकत्रित करने की जिससे कि एक देश, एक दिन में एक तिथि को निर्धारित किया जा सके। जिससे कि आमजन में भ्रम की स्थिति नहीं रहेगी और तीज-त्योहार भी उत्साह के साथ मनाए जा सकेंगे।

 

400 ज्योतिषी तथा वास्तुविद मौजूद रहे : संगोष्ठी में देश के राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, आंध्रप्रदेश, छत्तीसगढ़ ओडिशा आदि से कई प्राध्यापकों व अनुसंधानकर्ताओं ने ज्योतिषी कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। अब तक देश के विभिन्न शहरों और विश्वविद्यालयों से लगभग 400 ज्योतिषी तथा वास्तुविद आज इस आयोजन के सहभागी बने। इनमें से कई विद्वानों ने 3 अलग-अलग सत्रों में विभिन्न विषयों पर अपने रिसर्च पेपर प्रस्तुत किए। कार्यक्रम में देश के पंचांग निर्माताओं ने भी अपने पंचांगों की विशिष्टता पर प्रकाश डाला।

 

शकुन शास्त्र, कृष्णमूर्ति पद्धति के जानकार भी आए। सम्मेलन में ज्योतिष और वास्तु के संबंधित विभिन्न भ्रमों का निवारण भी किया। साथ ही ज्योतिष की विभिन्न विधाओं जैसे फलित ज्योतिष, चिकित्सा ज्योतिष अंकशास्त्र, हस्तरेखा शास्त्र, शकुनशास्त्र, कृष्णमूर्ति पद्धति, फेंगशुई, टैरोकार्ड, रमलशास्त्र, वास्तुशास्त्र के देशभर के मूर्धन्य विद्वान सम्मिलित हुए।

 

इन विषयों पर प्रस्तुत हुए प्रमुख रिसर्च पेपर :  पितृ दोष- संतान उत्पत्ति में रुकावट- नि:संतानता का प्राचीन पद्धति से उपाय। मन की चंचलता और एकाग्रता के लिए चंद्रमा प्रभावकारी। तलाक के कारण- सप्तम भाव में राहु, शनि का आना, लग्न में सूर्य शुक्र का होना। अवैध संबंध या लिव इन रिलेशनशिप, शुक्र का दूषित होने के साथ राहु का पीड़ित होना। गृह कलेश और वास्तुदोष- मंगल दोष नहीं योग। 60 फीसदी पत्रिका मांगलिक इसे डरने की आवश्यकता नहीं। रोजगार और करियर सृजन में ज्योतिष सहायक- मार्गदर्शक पथ-प्रदर्शक।

 

Edited by: Ravindra Gupta



from ज्योतिष https://ift.tt/IjiF7Tg
via IFTTT

No comments:

Post a Comment

Post Bottom Ad

Pages