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Saturday, January 13, 2024

आज लोहड़़ी पर्व, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Happy Lohri 2024 
 

HIGHLIGHTS

* लोहड़ी पर लोकनृत्य, लोकगीत गाने की परंपरा है। 

* लोहड़ी पर्व से धन, सौभाग्य-समृद्धि घर आती है।

* भगवान सूर्यदेव और अग्निदेव का पूजन किया जाता है। 

Lohri 2024: हिन्दू कैलेंडर के अनुसार लोहड़ी का पर्व 13 जनवरी 2024, दिन शनिवार को मनाया जा रहा है, साथ ही पंचांग के मतभेद के चलते यह पर्व 14 जनवरी को भी मनाया जाएगा। अधिकतर मतों से यह पर्व 13 जनवरी को मनाया जा रहा है और इसके अगले दिन लोहड़ी संक्रांति मनाई जाएगी। अत: यह पर्व मकर संक्रांति के एक दिन पूर्व रात्रि में मनाया जाता है। और इस बार कुछ स्थानों पर मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाने की बात बताई जा रहीहै। 

 

आइए यहां जानते हैं लोहड़ी का समय -

सर्वार्थ सिद्धि योग- 13 जनवरी सुबह 07:14 से दोपहर 12:49 तक।

शुभ मुहूर्त- 13 जनवरी रात को 06:17 से 07:37 तक।

 

आइए जानते हैं पूजा विधि- 

 

• लोहड़ी के दिन घर की साफ-सफाई के साथ ही नए वस्त्र धारण करना चाहिए।

 

• लोहड़ी के दिन गुरुद्वारों के सरोवरों में डुबकी लगाना चाहिए तथा गुरुद्वारों में विशेष शबद कीर्तन में भाग लेना चाहिए और कीर्तन सुनने भी जाना चाहिए।

 

• इस दिन भगवान श्री कृष्ण, आदिशक्ति तथा अग्‍नि देव इन तीनों की पूजा की जाती है। 

 

• इस दिन सरसों के तेल का दीया जलाया जाता है। 

 

• लोहड़ी के दिन घर में हवन कराया जाता है।

 

• लोहड़ी के दिन रात्रि में अग्नि जलाकर उसमें रेवड़ी, तिल, गुड़, मूंगफली, खील, मक्की के दानों की आहुति देने की मान्यता है। 

 

• लकड़ी जला कर अग्नि के चारों ओर चक्कर लगाते हुए परिक्रमा की जाती है तथा नाचते-गाते हैं।

 

• अग्नि की 7 या 11 बार परिक्रमा करके अग्नि में रेवड़ी अर्पित की जाती हैं। 

 

• नव विवाहितों से लोहड़ी की पूजा करवाई जाती है तथा जिस घर में पुत्र जन्म होता है, उस घर से पैसे लेकर अपने क्षेत्र में रेवड़ी बांटी जाती हैं। 

 

• लोहड़ी पर लकड़ियां जलाकर आग सेंकते हुए लोकगीतों का आनंद लिया जाता हैं। 

 

• लोहड़ी पर लोकनृत्य और लोकगीत गाने तथा ढोल की थाप पर गिद्दा और भांगड़ा करते हुए लोहड़ी पर्व मनाया जाता हैं। 

 

• बाद में प्रसाद के रूप में वहां उपस्थित लोगों को रेवड़ी बांटी जाती हैं। इस दौरान रेवड़ी, खील, गजक, मक्का, मूंगफली, तिल-गुड़ के लड्डू, मक्का की रोटी और सरसों का साग खाने की परंपरा हैं।

 

• इस दिन लोई माता की कथा सुनी जाती है।

 

• इस दिन काली गाय को खिचड़ी बनाकर खिलाने की परंपरा है। 

 

• लोहड़ी पर दान करने का विशेष महत्व होने के कारण जरूरतमंदों को दान तथा तिल-गुड़, रेवड़ी अवश्‍य बांटना चाहिए। 

 

• घर लौटते समय लोहड़ी में से 2-4 दहकते कोयले, प्रसाद के रूप में, घर पर लाने की प्रथा भी है।

 

अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। इनसे संबंधित किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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