लखनऊ।
जल्दी से जल्दी विवेचनाओं को निपटाने और तय समय सीमा में अपराधों पर नियंत्रण करने के लिए यूपी पुलिस ने शासन को जो प्रस्ताव भेजा है, उसका जल्दी ही असर दिखाई दे सकता है। यूपी पुलिस ने शासन को विवेचनाएं जल्द निपटाने और कार्याधिक के से निपटने के लिए सीओ, इंस्पेक्टर और सब इंस्पेक्टर के बाद अब हेड कांस्टेबलों को भी विवेचनाएं देने को अपने प्रस्ताव में शामिल किया है। इससे जहां हेड कांस्टेबल खाली लिखा- पढ़त और ड्यूटी के अलावा विवेचक भी कहलाएंगे।
यह प्रस्ताव उत्तर प्रदेश पुलिस ने शासन को इसलिए भेजा है कि प्रदेश में हर दिन लगभग 3000 मुकदमें लिखे जाते हैं, जिनकी जांच का बोझ बढ़ता जा रहा है। एनसीआरबी (नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो) 2017 के जो आंकड़े हैं, उनमें तीन लाख आठ हजार से अधिक खास विवेचना करनी होती हैं। इनमें 18428 केस ऐसे थे जो पहले से लंबित पड़े थे, वही इंडियन पैनल कोर्ट आईपीसी की कुल तीन लाख 64 हजार से ज्यादा मामलों की विवेचना अलग थी। इनमें पहले से लंबित आईपीसी की 54346 विवेचनाएं भी शामिल हैं।
यहां बता दें कि किसी भी आपराधिक प्रकरण में दोनों पक्षों को सामने रखते हुए वास्तविकता को ऊपर रखकर विवेचना की जाती है । इसके लिए पुलिस साक्ष्य संकलन संबंधित लोगों के बयान अनुसंधान परीक्षण और तर्क वितर्क के आधार पर विवेचना करती है। संगीन मामलों में साक्ष्य मिलने पर पुलिस 90 दिन के भीतर विवेचना को न्यायालय में प्रस्तुत करती है।
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