बबराला/संभल।
गौरक्षा को लेकर आम जनमानस, प्रशासनिक अधिकारी से लेकर हिंदू संगठन एवं राजनेता भी खूब चर्चा करते हैं। चुनावी मौसम में “गाय माता” शब्द जनता से वोट बटोरने का हथियार बन जाता है। वास्तविक रूप से गौमाता के कष्ट में होने पर अधिकांश लोग उसके पास नहीं फटकते। बिरले ही लोग गाय माता की दवा व सेवा आदि कर उनके सच्चे सपूत बनने का साहस कर पाते हैं। अमूमन लोग दुधारू गाय की सेवा करते हैं ज्यादातर ऐसी गायों को ही भरपेट भोजन मिलता है। गोष्ठी सभा, कार्यशाला या फिर राजनीतिक मंच हो, हर जगह गौ संरक्षण पर खूब बातें होती है लेकिन जब वास्तव में गाय माता कष्ट में होती है तो बिरले लोग ही इसकी सेवा के लिए आगे आते हैं।
बबराला नगर में भी कुछ ऐसे अच्छे युवा हैं जो बीमार और घायल गाय माता की खिदमत में सहर्ष जुट जाते हैं, नगर में रेलवे स्टेशन आदि जगह काफी संख्या में गाय बछड़े सांड प्रशासन की देखभाल ना होने के कारण खुले में छुट्टा घूमते रहते हैं जिनकी किसी ना किसी कारण से मृत्यु एवं गंभीर घायल हो जाते हैं समाजसेवी नवनीत गांधी को सूचना मिली की स्टेशन के निकट कई गाय घायल अवस्था में है जिनका मांस चील कौवा नोच कर खा रहे हैं तो उन्होंने तुरंत अपनी युवा टीम के साथ मौके पर जाकर गौ माता की दवा पट्टी करके इलाज किया।
समाजसेवी नवनीत गांधी ने शासन–प्रशासन गौरक्षकों, नेताओं की पोल खोलते हुए कहा कि सभी लोग अपनी जिम्मेदारी से बचते हुए समाज को बेवकूफ बनाने के लिए सिर्फ भाषण बाजी ही कर रहे हैं। गाँधी जी ने नगर में संचालित गौशाला पर सवालिया निशान लगाते हुए कहा की गौशाला में सिर्फ खानापूर्ति के अलावा कोई कार्य नहीं हो रहा है गाय नगर में छुट्टा घूमती रहतीं हैं जिससे लोगों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है, दूसरी तरफ इस भीषण सर्दी में गाय दुखी होकर मरने को विवश है। इस पूरे प्रकरण पर जिलाधिकारी अविनाश कृष्ण सिंह से अनुरोध किया है की जांच कराई जाए दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई करें। धर्मेंद्र गुप्ता डिंपी, विपिन गुप्ता, प्रकाश भारती, अजरुदीन, नफीस समाजसेवी नवनीत गांधी आदि गाय की तीमारदारी करने में सक्रिय रहे।
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