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Saturday, January 4, 2020

लुईब्रेल ने नेत्रहीनों को लिखने और पढ़ने की प्रणाली विकसित कर दुनिया को दिया अनमोल उपहार : संजीव

बदायूं।

केंद्रीय विद्यालय शेखूपुर में दृष्टिहीनों को आशा की किरण देने वाले शिक्षाविद लुई ब्रेल का 211 वां जन्म दिवस ‘‘विश्व ब्रेल दिवस ‘‘ के रूप में मनाया। युवा शक्ति ने निःस्वार्थ सेवा करने का संकल्प लिया। प्रधानाचार्य नीरज कुमार त्यागी को दो दिव्यांग बच्चों की कान की मशीन दी गई। आत्मीय परिजनों को गायत्री मंत्र के पटके से विभूषित किया गया।
मुख्य अतिथि गायत्री परिवार के संजीव कुमार शर्मा ने कहा कि दृष्टिहीन लुई ब्रेल ने संसार को ब्रेल लिपि तैयार कर दुनियां के नेत्रहीनों को ज्योति प्रदान और उन्हें पढ़ने लिखने योग्य बनाया। भारत में ब्रेल लिपि मान्य है। स्कूली बच्चों को पाठ्यपुस्तकों, रामायण, महाभारत जैसे ग्रंथ, कालनिर्णय पंचांग और अन्य पुस्तकें भी ब्रेल लिपि में देखने को मिलती हैं। उन्होंने कहा लुई ब्रेल ने नेत्रहीनों को लिखने और पढ़ने की प्रणाली विकसित कर दुनियां को अनमोल उपहार दिया। ब्रेल पद्धति दुनियां भर के दृष्टिहीन दिव्यांगों की ज्ञान चक्षु है। लुई को व्याकरण, भूगोल और गणित में महारत हासिल थी। भारत सरकार ने 2009 में लुई ब्रेल के सम्मान में डाक टिकट जारी किया।
समेकित शिक्षा के शिक्षक ने कहा कि कान वह अंग है, जो ध्वनि का पता लगाता है, यह न केवल ध्वनि के लिए एक ग्राहक के रूप में कार्य करता है। अपितु शरीर के संतुलन और स्थिति का बोध में भी एक प्रमुख भूमिका निभाता है। उन्होंने कहा दिव्यागों को आंखों की रोशनी देने वाले लुई ब्रेल ने 15 वर्ष की आयु में 1824 में यह लिपि बनाई। जिसमें 6 बिंदुओं का उपयोग कर 64 अक्षर और विराम, गणितीय चिंह और संगीत के नोटेशन भी लिखे जा सकते हैं। दुनियां भर के लोग इस लिपि का उपयोग करते हैं।
विशेष शिक्षक विपिन कुमार मिश्रा ने कहा कि सामान्य बच्चे रोमन लिपि या देवनागरी लिपि में पढ़ते, लेकिन लुई ने अलग से ब्रेल लिपि बनाकर नेत्रहीनों प्रज्ञा चक्षु प्रदान किए। दिव्यांग बच्चे ब्रेल लिपि को पढ़कर अपनी राह खोज रहे हैं और रोजगार पा रहे हैं। ब्रेल लिपि दिव्यांगों के जीवन को प्रकाशित कर उनके उज्ज्वल भविष्य का सहारा बनी है। उन्होंने शिक्षकों को कान के मशीन के पार्ट्स की जानकारी दी।
प्रधानाचार्य नीरज कुमार त्यागी ने कहा कि बिना आंखों के शिक्षा ग्रहण करना संभव नहीं है। लुई की ब्रेल लिपि ने वर्तमान में दुनियां भर के दिव्यांगों को पढ़ाई के साथ अच्छी नौकरी और समाज में अनोखा सम्मान दिलाया है। उन्होंने बताया कि विद्यालय में दिव्यांग छात्र सुमित कुमार, राज साहू श्रवण और अक्षय कुमार अस्थि प्रभावित हैं। मुख्य अतिथि गायत्री परिवार के संजीव कुमार शर्मा ने प्रधानाचार्य नीरज कुमार त्यागी को दिव्यांग बच्चों की कान की मशीन प्रदान की। आत्मीय परिजनों को गायत्री मंत्र के पटके से विभूषित किया गया। संचालन शिक्षक सुरेश कुमार मिश्रा ने किया। इस मौके पर तमाम शिक्षक मौजूद रहे।



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