1. बैम्बू प्लांट (Bamboo Plant) : बैम्बू प्लांट अर्थात बांस का पौधा। भारतीय वास्तु शास्त्र में भी इसे पवित्र माना गया है। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचरण होता है। फेंग शुई के अनुसार बांस को सुख, शांति और समृद्धि देने वाला माना गया है। घर के गमले में या लॉन में लगाया जाता है। माना जाता है कि समय के साथ यह पौधा जितना ज्यादा बढ़ा होता रहता है आप अपने जीवन में उतनी ही उन्नती करते जाते हैं। बांस का पौधा लगाने से घर में प्रसन्नता और खुशी का माहौल निर्मित होता है और सौभाग्य में वृद्धि होती है। बांस का पौधा लगाने से परिवार के लोग निरोगी भी बने रहते हैं।
2. क्रसुला ओवाटा (Crassula Ovata): इस पौधे का पूरा नाम क्रासुला ओवाटा (Crassula Ovata) है। मान्यता है कि इस पौधे को लगाने से यह धन को आकर्षित करता है। फेंगशुई अनुसार क्रसुला अच्छी-ऊर्जा की तरह धन को भी घर की ओर खींचता है। अंग्रेज़ी में इसे जेड प्लांट, फ्रेंडशिप ट्री या लकी प्लांट कहते हैं।
3. मनी प्लांट (Money plant) : मान्यता है कि इस बेल के घर में रहने से समृद्धि बढ़ती है। मनी प्लांट को आग्नेय दिशा में लगाना उचित माना गया है। इस दिशा के देवता गणेश जी हैं जबकि प्रतिनिधि शुक्र हैं। यहां मनी प्लांट लगाने से घर में सुख शांति आती है। मनी प्लांट कभी भी उत्तर-पूर्व दिशा में नहीं लगाएं, इससे आपको बड़ी धन हानि का सामना करना पड़ सकता है।
4. हरसिंगार या रजनीगंधा (Harsingar or tuberose rajanigandha) : पारिजात के फूलों को हरसिंगार और शैफालिका भी कहा जाता है। यह वृक्ष जिस भी घर-आंगन में होता है, वहां हमेशा शांति-समृद्धि बनी रहती है। इसके फूल तनाव हटाकर खुशियां ही खुशियां भरने की क्षमता रखते हैं। रजनीगंधा की तीन किस्में होती है। इसका सुगंधित तेल और इत्र भी बनता है। इसके कई औषधीय गुण भी है।
5. मयूर शिखा (Mayur Shikha Plant) : बाग-बगीचे और घर के अंदर की सुंदरता बढ़ाने के लिए यह पौधा लगाया जाता है। यह डेकोरेटिव पौधा है। वास्तुदोष निवारण में यह पौधा लाभदायक माना जाता है। इससे घर के भीतर की नकारात्मकता समाप्त होती है और भाग्य में वृद्धि होती है। माता जाता है कि इसे लगाने से पितृदोष का निवारण भी होता है। इसका एक नाम दुष्टात्मानाशक भी है अर्थात यह घर में बुरी आत्माओं के प्रवेश को रोकता है। इसकी पत्तियां और फूल को सब्जी के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है। आयुर्वेद में इसका उपयोग औषधी के रूप में होता है। कषाय, अम्ल, शीत, लघु, कफ-पित्तशामक, ज्वरघ्न तथा पक्वातिसार शामक, मधुमेहरोधी आदि का कार्य होता है।
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