अमावस्या तिथि आरंभ : 18 मई 2023 को रात्रि 09 बजकर 44 मिट से आरम्भ।
अमावस्या तिथि समाप्त : 19 मई 2023 को रात्रि 09 बजकर 24 मिनट पर समाप्त।
दुर्लभ संयोग:
शोभन योग : 18 मई को शाम 07 बजकर 37 मिनट से 19 मई को शाम 06 बजकर 16 मिनट तक रहेगा।
गजकेसरी योग : शनि कुंभ में, चंद्र और गुरु मेष में विराजमान रहकर गजकेसरी योग का निर्माण करेंगे।
शुभ मुहूर्त:
अभिजित मुहूर्त : 19 मई को दोपहर 12 बजकर 09 मिनट से 01 बजकर 01 मिनट तक रहेगा।
विजय मुहूर्त : 19 मई को दोपहर 02 बजकर 46 मिनट से 03 बजकर 38 मिनट तक रहेगा।
अमृत काल : 19 मई को सुबह 05:35 से अगले दिन सुबह 07:13 तक रहेगा।
shani ki sade sati ke upay
शनि जन्म कथा : पुराणों में शनि देव के जन्म से संबंधित कई कथाएं प्रचलित है। एक कथा के अनुार वे सूर्यदेव और छाया के पुत्र हैं। कथा के अनुसार सूर्यदेव का विवाह संज्ञा से हुआ था और उन्हें मनु, यम और यमुना के रूप में तीन संतानों की प्राप्ति हुई। विवाह के कुछ वर्षों बाद सूर्य देव के कष्टों को संज्ञा सहन नहीं कर पाई और वो उन्हें छोड़कर चली गई।
जाने से पहले वे अपनी छाया को सूर्यदेव की सेवा में छोड़ आई। कुछ समय के बाद छाया को एक संतान हुई जिसका नाम शनि देव रखा गया। हालांकि सूर्य देव को जब यह पता चला कि छाया असल में संज्ञा नहीं है तो वे क्रोधित हो उठे और उन्होंने शनि देव को अपना पुत्र मानने से इनकार कर दिया। इसके बाद से ही शनि और सूर्य पिता-पुत्र होने के बावजूद एक-दूसरे के प्रति बैर भाव रखने लगे।
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